नईदुनिया प्रतिनिधि, जगदलपुर: राज्य में भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार के दौरान मतांतरण की जानकारी ही नहीं ली गई। सर्व आदिवासी समाज को सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के तहत जिला प्रशासन ने छत्तीसगढ़ राज्य गठन नवंबर 2000 से लेकर फरवरी 2023 तक की मतांतरितों से जुड़ी जानकारी दी है।
अजीत जोगी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय (2000-2003) के दौरान बस्तर जिले में 232 लोगों ने मतांतरण की आधिकारिक सूचना जिला प्रशासन को दी थी।
भाजपा शासनकाल (2004-2018) में भी 131 लोगों द्वारा मतांतरण की जानकारी दी गई थी।
भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनने पर 2018 से 2023 तक मात्र एक व्यक्ति ने फरवरी 2020 में मतांतरण की जानकारी दी।
इस दौरान लोगों ने मतांतरण तो किया लेकिन जानकारी देने में रूचि नहीं दिखाई।
सर्व आदिवासी समाज के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक राजाराम तोड़ेम का कहना है कि मतांतरितों की जानकारी न होने का नतीजा ये है कि मिशनरीज राज्य सरकार पर हावी हो रहे हैं और दावा कर पा रहे हैं कि राज्य में वे मतांतरण में लिप्त नहीं हैं। उन पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। साय सरकार ने जिला प्रशासन से मतांतरितों की जानकारी मांगी है ताकि इस तरह के हालातों से निपटा जा सके।
मिली जानकारी के अनुसार, जिला प्रशासन द्वारा मतांतरण से संबंधित सूचना पत्र पुलिस अधीक्षक कार्यालय को भेज दिया जाता है। पिछले सप्ताह पुलिस द्वारा प्रदेश सरकार को मतांतरण से जुड़ी जानकारी भेजी गई है। सरकार रिकार्ड के अनुसार मतांतरण करने वालों में तीन को छोड़ अन्य सभी ने ईसाई धर्म स्वीकार किया है।
सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष दशरथ कश्यप का कहना है कि मतांतरण को लेकर भी एक प्रकिया है जिसकी निर्धारित प्रपत्र में जानकारी प्रशासन को देने का प्रविधान है। आरटीआइ से मिली जानकारी के बाद समाज की ओर से गांवों से जानकारी एकत्र की गई को तो पता चला कि मतांतरण करने वालों की संख्या सरकारी रिकार्ड से कई गुना अधिक है।
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बस्तर राज मोर्चा के संयोजक पूर्व विधायक मनीष कुंजाम का कहना है कि जातीय सर्वेक्षण करा लिया जाता तो केंद्र और राज्य सरकारों के पास इसकी वास्तविक जानकारी आ जाती। यह संकट इतना नहीं बढ़ता। सरकार को एक आदेश जारी करना चाहिए जिसमें मतांतरण के आवेदन पर चर्चा कर निर्णय का अधिकार ग्रामसभा को मिलना चाहिए।