विनोद सिंह, नईदुनिया ,जगदलपुर। माओवादियों की तरह बस्तर से प्लास्टिक कचरे के भी सफाये का संकल्प लिया गया है। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर यहां बस्तर का प्लास्टिक मटेरियल रिकवरी फेसलिटी (एमआरएफ) सह मटेरियल रीसाइक्लिंग सेंटर (एमआरसी) एक शानदार उदाहरण पेश कर रहा है कि कैसे कचरे को भी सोना बनाया जा सकता है।
बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत तीन साल पहले जगदलपुर शहर से 6 किलोमीटर दूर बुरुंदवाड़ा सेमरा में जिला प्रशासन, एचडीएफसी बैंक और सेंटर फार इन्वायरमेंट एजुकेशन (सीइसी) द्वारा स्थापित यह संयंत्र देश का दूसरा और छत्तीसगढ़ का पहला ऐसा उद्यम है। पहले चरण में यहां केवल प्लास्टिक कचरा संग्रहण की सुविधा थी, तीन माह पूर्व रीसाइक्लिंग का कार्य भी शुरू कर दिया गया है।
इस प्लांट को प्लास्टिक रीसाइक्लिंग सम्मेलन एशिया 2023 में शहरी और ग्रामीण संगम में एमआरएफ सेटअप और संचालन श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिला था। इसी तरह प्लास्टिक रीसाइक्लिंग सम्मेलन एशिया 2024 में स्थानीय निकाय चैंपियन 2023 श्रेणी में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
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समूह की सदस्य कमला बताती हैं कि प्लांट की स्थापना के कुछ माह बाद उनका समूह यहां काम से जुड़ गया था। समूह की महिलाएं माह में आठ से नौ हजार रुपये या इससे भी अधिक कमा लेती हैं। प्लांट में काम मिलने से रोजगार की चिंता से मुक्त हो गई हैं। वह चाहती हैं कि यहां प्लास्टिक के खिलौने व अन्य सामग्रियां बनाने का कारखाना शुरू हो ताकि रोजगार के अवसरों में और अधिक वृद्धि हो सके।
महिला समूह की सदस्य सेमरा निवासी जगदंबे का कहना है कि प्लांट में स्थायी रोजगार की व्यवस्था होने से जो पैसे मिलते हैं उससे परिवार के जीविकोपार्जन और अन्य खर्चे के लिए हाथ नहीं फैलाना नहीं पड़ता। यहां बड़ी संख्या में महिलाएं काम करती हैं और सभी प्रसन्न हैं और चाहती हैं कि और भी प्लांट की उत्पादन क्षमता का विस्तार होना चाहिए। बताया गया कि कचरा संग्रहण में जिले भर में एक हजार से अधिक महिलाएं जुड़कर काम कर रही हैं।
इस प्लांट का संचालन सृष्टि वेस्ट मैनेजमेंट सर्विसेज के साथ राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़ी महिला समूह कर रहा है। जो महिला सशक्तीकरण का एक बेहतरीन माडल है। भविष्य में यहां प्लास्टिक के खिलौने और अन्य उत्पाद बनाने की भी योजना है। राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत यह एमआरएफ-एमआरसी प्लांट न केवल पर्यावरण को सुधार रहा है बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन के जिला समन्वयक दिलीप गोस्वामी से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में प्लास्टिक कचरा संग्रहण के लिए 83 ई-रिक्शा का वितरण किया गया है। प्लास्टिक कचरा संग्रहण व आपूर्ति के लिए दंतेवाड़ा और सुकमा जिला प्रशासन के साथ अनुबंध किया गया है। संभाग के अन्य जिलों के साथ भी चर्चा चल रही है।
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कोंडागांव : एक जागरूक ग्रामीण ने अपने व्यवसाय स्थल पर तपती गर्मी से बेहाल होकर पेड़ लगाने की ठानी। चार वर्ष में वह पौधा अब बड़ा हो गया है और गर्मी से राहत दे रहा है। पवन कुमार तिवारी काम की तलाश में वर्ष 2003 में कोंडागांव आए और तहसील कार्यालय के ठीक बगल में चाय की ठेला लगाने लगे। जहां पर चाय ठेला लगाता था। पास में ही एक आम का विशाल पेड़ था। बुजुर्ग पेड़ करोना काल में गिर गया। पेड़ गिरने से ठेले के आसपास गर्मी के समय छांव में खड़े होने की जगह नहीं बची।
पेड़ गिरने का उन्हें मन ही मन अफसोस होने लगा। छांव की कमी महसूस हुई तो उन्होंने चार साल पहले जुलाई के महीने में वन विभाग से बादाम के पौधे लाकर ठेले के पास सड़क किनारे लगाया और नियमित देखभाल करने लगे । उसके बाद पौधा सुरक्षित रूप से बढ़ने लगा। आज चार साल बाद पौधा पेड़ का रूप ले लिया है। अब पेड़ गर्मी के समय में राहत दे रहा है।