
संदीप तिवारी, नईदुनिया, रायपुर। माओवादी हिंसा विरोधी मुहिम में सरकार और सख्ती दिखाने जा रही है। 31 जनवरी 2026 तक आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को ही पुनर्वास योजना का लाभ मिल सकेगा। एक फरवरी से आत्मसमर्पण का रास्ता बंद हो जाएगा और इसके बाद समर्पण करने पर भी माओवादियों को पुनर्वास योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
साझा रणनीति तय
केंद्र और राज्य सरकार ने जनवरी, फरवरी और मार्च के लिए साझा रणनीति तय की है। जनवरी के बाद माओवादियों को उनकी मांद के भीतर ही घुसकर गोली का जवाब गोली से दिया जाएगा। मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश को माओवादी हिंसा से मुक्त करने के लिए नरेन्द्र मोदी, अमित शाह ने संकल्प लिया है।
प्रदेश में विष्णु देव साय और विजय शर्मा इस मुहिम में निरंतर लगे हुए हैं। माओवादी अधिक संख्या में मुख्य धारा में लौटें, इसके लिए लगातार उन्हें आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अभी आत्मसमर्पित माओवादियों को आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति-2025 के तहत नकद प्रोत्साहन, प्रशिक्षण, नौकरी व स्वरोजगार के लिए सब्सिडी और आवास की सुविधा दी जा रही है।
कर्रेगुट्टा पहाड़ी में हुए आपरेशन की तर्ज पर बनी रणनीति
सुरक्षा तंत्र से जुड़े राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक फरवरी से माओवादियों के लिए चल रही आत्मसमर्पण की नीति पर विराम लगाकर माओवादियों के खिलाफ लड़ाई तेज होगी। सुरक्षा बलों द्वारा माओवादियों के ठिकानों में घुसकर उन्हें चारों ओर से घेरने और निर्णायक कार्रवाई करने की रणनीति पर अमल किया जाएगा।
सुरक्षित गढ़ को ध्वस्त किया
बीजापुर जिले की कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर जिस तरह सुरक्षा बल के जवानों ने माओवादियों के सबसे सुरक्षित गढ़ को ध्वस्त किया था, ठीक उसी तरह अन्य ठिकानों को भी ध्वस्त किया जाएगा। इसके लिए राज्य से लगे पड़ोसी राज्यों से सुरक्षा बलों की मदद ली जाएगी। जरूरत पड़ने पर आपरेशन को सफल बनाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों को भी बस्तर में उतारा जा सकता है। इस व्यापक अभियान को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच सहमति बन चुकी है।