नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने 3,200 करोड़ के शराब घोटाले में मंगलवार को आठ हजार पन्नों का का चालान विशेष न्यायालय रायपुर में पेश किया। यह चालान विदेशी शराब पर लिए गए अवैध कमीशन और उससे बने सिंडीकेट पर आधारित था। जांच में यह भी पाया गया कि इस नई नीति के चलते राज्य के राजस्व को 248 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। चालान में विजय कुमार भाटिया, संजय मिश्रा, मनीष मिश्रा और अभिषेक सिंह को आरोपित बनाया गया है। ये सभी वर्तमान में जेल में निरुद्ध हैं। अन्य कंपनियों से जुड़े लोगों पर अलग से अभियोग पत्र दायर किया जाएगा।
जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ है कि तत्कालीन आबकारी विभाग में एक संगठित सिंडीकेट सक्रिय था, जिसमें प्रशासनिक अधिकारी अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, निरंजन दास, समेत कारोबारी और करोबारी अनवर ढेबर, विकास अग्रवाल, अरविंद सिंह शामिल थे। इनके नियंत्रण में शराब सप्लाई से लेकर मार्केट शेयर तक हर स्तर पर अवैध कमीशनखोरी की गतिविधियां संचालित होती थीं।
ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया कि कुछ विदेशी शराब कंपनियां सीधे नकदी कमीशन देने को तैयार नहीं थीं। इसे दूर करने के लिए सिंडीकेट ने षड्यंत्रपूर्वक वर्ष 2020-21 में नई आबकारी नीति लागू करवाई। इसके तहत एफएल-10ए/बी लाइसेंसी व्यवस्था शुरू की गई। इस व्यवस्था में छत्तीसगढ़ ब्रेवरीज कॉर्पोरेशन को दरकिनार कर तीन निजी कंपनियों को सीधे विदेशी शराब की खरीद का अधिकार दिया गया। ये कंपनियां विदेशी सप्लायरों से शराब खरीदकर उस पर 10 प्रतिशत कमीशन जोड़कर राज्य मार्केटिंग कॉर्पोरेशन को बेचती थी। यही 10 प्रतिशत कमीशन सिंडीकेट और उनके नजदीकी लोगों के बीच बंटवारा होता था।
- ओम सांई ब्रेवरीज प्रालि : अतुल सिंह व मुकेश मनचंदा की इस कंपनी में विजय कुमार भाटिया छिपे हुए लाभार्थी थे। जांच में सामने आया कि केवल इस कंपनी से भाटिया को लगभग 14 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचा।
- नेक्सजेन पावर इंजिटेक प्रालि : असली संचालन सीए संजय मिश्रा कर रहे थे, जिनके साथ उनके भाई मनीष मिश्रा और सिंडीकेट सदस्य अरविंद सिंह का भतीजा अभिषेक सिंह जुड़े था। इस कंपनी ने सिंडीकेट को हिस्सा देने के बाद भी लगभग 11 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।
- दिशिता वेंचर्स प्रालि : आशीष सौरभ केडिया की इस कंपनी को भी लाभ पहुंचाया गया।
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