
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल: भोपाल के जयप्रकाश (जेपी) अस्पताल में दिव्यांगजनों के लिए प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया सिस्टम की लापरवाही की पोल खोल रही है। अस्पताल के फिजियोथैरेपी विभाग के बाहर सोमवार को सुबह से दिव्यांगों की लंबी कतार लगी रही।
यह दिन विशेष रूप से अस्थि बाधित दिव्यांगों के लिए निर्धारित था, लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही ने इंतजार को यातना में बदल दिया। सुबह नौ बजे से बैठे लोगों का परीक्षण तब शुरू हुआ जब डॉक्टर दोपहर एक बजे पहुंचे।
राजकुमार सिंह, जो व्हील चेयर पर बैठे थे, सुबह नौ बजे से अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। वे अपनी यूनीक डिसेबल आईडी बनवाने आए थे। राजकुमार ने कहा, “हम दिव्यांगों के लिए किसी को समय की कीमत नहीं है। हर बार यही हाल होता है, कोई सुनने वाला नहीं।”
वहीं भोपाल के ही जीवन कोरी, जो दोनों पैरों से दिव्यांग हैं, सुबह दस बजे से अपनी आईडी में गलत जन्मतिथि सुधारने के लिए भटकते रहे। उन्होंने कहा, “कर्मचारियों ने कहा डॉक्टर आएंगे तब काम होगा। हम घंटों से बैठे हैं।”
अस्पताल में एक बोर्ड लगा है, जिसमें लिखा है कि सुबह 9:30 से 12:30 बजे तक फॉर्म वितरण और जांच होती है। लेकिन जब नईदुनिया टीम मौके पर पहुंची, तो 12:30 बजे तक दिव्यांग सिर्फ डॉक्टर का इंतजार करते रहे।
दिव्यांगों ने बताया कि लेट-लतीफी सिर्फ एक दिन की नहीं है। मंगलवार को मानसिक रोगियों, बुधवार को श्रवण बाधित, गुरुवार को नेत्रहीनों और शुक्रवार को जिला मेडिकल बोर्ड की बैठक होती है, लेकिन हर दिन यही स्थिति रहती है। कई बार अधिकारी और डॉक्टर बैठक में भी देर से पहुंचते हैं।
"आज मंत्री जी के साथ बैठक होने के कारण डाक्टर लेट पहुंचे होंगे। दिव्यांगजनों का ध्यान रखा जाता है। हमारी कोशिश रहती है कि उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो। सभी डाक्टरों को समय पर पहुंचने को पहले से कहा गया है।"
- डा. संजय जैन, सिविल सर्जन, जेपी अस्पताल।