Bhopal Shatru Sampatti Vivad: आबिदा सुल्तान से क्या था सैफ अली खान का रिश्ता… देखिए पटौदी परिवार इतिहास और समझिए शत्रु संपत्ति विवाद
सैफ अली खान पर हमले के ठीक बाद भोपाल से खबर आई कि पटौदी खानदान के आखिरी नवाब की 15,000 करोड़ की संपत्ति केंद्र सरकार के नियंत्रण में आ सकती है। शत्रु संपत्ति कानून के तहत सरकार यह कार्रवाई करने जा रही है। हालांकि, इसको लेकर भ्रम की स्थिति भी है।
Publish Date: Thu, 23 Jan 2025 02:33:43 PM (IST)
Updated Date: Thu, 23 Jan 2025 10:39:37 PM (IST)
नवाब पटौदी और सैफ अली खान की फाइल फोटो। बीच में नवाब हमीदुल्लाह खान की तीनों बेटियां , आबिदा सुल्तान, साजिदा सुल्तान और राबिया सुल्तान (बायें से दायें)। फोटो: खालिद गनीHighLights
- नवाब हमीदुल्लाह खान थे भोपाल के आखिरी शासक
- दूसरी बेटी साजिदा की शादी हुई थी पटौदी परिवार में
- साजिदा के बेटे मंसूर अली खान पटौदी बने थे नवाब
मोहम्मद अबरार खान, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पूर्व रियासत से जुड़ी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति कानून के तहत सरकारी घोषित करने की अधिसूचना पर लगा स्थगन आदेश खत्म होने के बाद राजधानी में भ्रम का माहौल बन गया है।
कहा जा रहा है कि इस आदेश से सरकार करीब 150 एकड़ में फैली उन संपत्तियों पर कब्जा कर लेगी, जिस पर इस समय करीब चार-पांच लाख की आबादी बसी है। एक तरफ लोगों में डर का माहौल है, तो दूसरी तरफ भोपाल के इतिहास और नवाब खानदान को लेकर भी देशभर में चर्चा हो रही है।
नवाब परिवार को जान लीजिए
- नवाब हमीदुल्लाह खान- भोपाल के आखिरी शासक, वर्ष 1926 से 1960 तक मृत्युपर्यंत रहे।
- उनकी तीन बेटियां थीं आबिदा सुल्तान, साजिदा सुल्तान और राबिया सुल्तान।
- परंपरा के अनुसार नवाब की उत्तराधिकारी उनकी बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान को बनाया जाना था, लेकिन 1950 में वे अपने बेटे के साथ पाकिस्तान चली गईं।
- इसके बाद भारत सरकार ने उनकी दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान को नवाब अधिसूचित कर दिया।
- साजिदा का विवाह हरियाणा के पटौदी रियासत के नवाब इफ्तेखार अली खान से हुआ।
- साजिदा सुल्तान के निधन के बाद उनके बेटे मंसूर अली खान पटौदी को भोपाल का नवाब मान लिया गया।
- उनके बाद सैफ अली खान को नवाब की उपाधि मिली है और परंपरा में इस संपत्ति के वे वारिश हैं।
- नवाब हमीदुल्लाह खान की तीसरी बेटी राबिया सुल्तान हैदराबाद में ब्याही गईं।
- उनके वंशजों का भी इस संपत्ति पर दावा है। इसका विवाद भी न्यायालय में चल रहा है, जिसमें सैफ अली खान एक पक्षकार हैं।
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(नवाब हमीदुल्लाह खान की तीनों बेटियां , आबिदा सुल्तान, साजिदा सुल्तान और राबिया सुल्तान (बायें से दायें)। lफाइल फोटो: खालिद गनी)
आबिदा सुल्तान की संपत्ति बची ही नहीं जिसे माना है शत्रु संपत्ति
इस बीच भोपाल रियासत के इतिहास और कानून के जानकारों का कहना है कि जिस आबिदा सुल्तान के पाकिस्तान जाने की वजह से रियासत की संपत्तियों को शत्रु संपत्ति कहा जा रहा है, उनकी कोई निजी संपत्ति तो भोपाल में बची भी नहीं है। वे पाकिस्तान जाने से पहले उन्हें बेच गई थीं।
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तोहफे में मिली थी नूर-उस-सबा पैलेस और नानी की हवेली
- नवाबी इतिहास के जानकार रिजवानउद्दीन अंसारी बताते हैं कि आबिदा सुल्तान के नाम यहां नूर-उस-सबा पैलेस और नानी की हवेली जैसी कुछ संपत्तियां थीं, जो उन्हें तोहफे में मिली थीं। इनमें से ज्यादातर संपत्ति को वे पाकिस्तान जाने से पहले ही बेच गई थीं।
नवाब हमीदुल्लाह खान का महल कस्र-ए-सुल्तानी भी पहले ही बिक चुका है। इसी इमारत में आज का सैफिया कॉलेज है। यह महल बिकने के बाद नवाब परिवार कोहेफिजा स्थित फ्लैग स्टाप हाउस में रहने लगा था।
आयकर विभाग के मृत्यु कर के तौर पर नवाब ने कोहेफिजा क्षेत्र की बड़ी जमीन सरकार को दी थी, जिस पर आज बीडीए कॉलोनी बनी है। इसी तरह उन्होंने अपने अर्दलियों और करीबियों को संपत्ति का बड़ा हिस्सा अपने जीवित रहते ही दान कर दिया था।
अंसारी कहते हैं कि अभी तो नवाब हमीदुल्लाह खान की दो छोटी बेटियों- साजिदा सुल्तान और राबिया सुल्तान के वंशजों के बीच संपत्ति की विरासत को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है।
सरकार को अभी यह तय करना होगा कि वास्तव में पाकिस्तान में बस गईं आबिदा सुल्तान की संपत्ति कौन-सी है। भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि अभी तक उन्हें उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति नहीं मिली है। ![naidunia_image]()
(आबिदा सुल्तान फाइल फोटो)
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रियासत की बड़ी संपत्ति पर तो सरकार पहले ही काबिज
वरिष्ठ अधिवक्ता और भोपाल हिस्ट्री फोरम के संयोजक शाहनवाज खान बताते हैं कि आजादी के बाद नवाब ने अपनी बहुत-सी निजी इमारतें सरकार को उपयोग करने के लिए दी हैं। इसमें भोपाल का कलेक्टर कार्यालय, सदर मंजिल, चार बंगले, पुलिस मुख्यालय, लाल परेड मैदान शामिल हैं।
कोहेफिजा से खानूगांव, चिकलोद और बैरसिया के इलाके में जो जमीनें नवाब परिवार से जुड़ी थीं, उन पर लाखों की आबादी बसी हुई है। सरकार का स्पष्टीकरण आने तक अभी इस मामले में कुछ भी साफ नहीं है। इसने लंबी कानूनी लड़ाई का एक नया आधार बना दिया है।
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प्रशासन का सर्वे भी भ्रम बढ़ाता रहा
1962 की केंद्रीय अधिसूचना के हिसाब से नवाब की दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान वारिस बन चुकी थीं। ऐसे में शत्रु संपत्ति कानून उनकी संपत्ति पर लागू नहीं होता। इसी वजह से प्रत्येक सर्वे में शत्रु संपत्ति की संख्या घटती बढ़ती रही है।
2013 के सर्वे के बाद जिला प्रशासन ने नवाब परिवार से जुड़ी शत्रु और निष्कांत संपत्तियों की संख्या 24 बताई थी। 2015 में इनकी संख्या केवल 16 रह गई। वहीं 2016 में पाकिस्तान में बस जाने वाली आबिदा सुल्तान के नाम पर दर्ज केवल एक संपत्ति नानी की हवेली की पहचान हो पाई।
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