.webp)
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। कृषि के काम के लिए दस घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में कृषि फीडर अलग किए गए हैं। इस अवधि से अधिक बिजली की आपूर्ति पर जिम्मेदारों का वेतन काटने का प्रविधान है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने इस प्रविधान को दोहराते हुए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसे कांग्रेस ने मुद्दा बना लिया।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री अरुण यादव ने आरोप लगाया कि सरकार सरप्लस बिजली वाला राज्य होने का दावा करती है। दिल्ली में मेट्रो चलाने के लिए बिजली देती है पर किसानों को देने के लिए नहीं है। यही भाजपा सरकार का चेहरा है। उधर, कंपनी ने सफाई दी कि दस घंटे बिजली की आपूर्ति के लिए हम प्रतिबद्ध हैं लेकिन असामाजिक तत्वों के दबाव में निर्धारित और घोषित समय से अधिक कृषि फीडर पर बिजली देने से दुर्घटना की संभावनाएं बढ़ जाती है।
निर्धारित घंटों से अधिक आपूर्ति पर दंड का प्रविधान है। इसे दोहराया गया है। सिंघार ने आरोप लगाया कि प्रदेशभर में किसानों को पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है और अब बिजली विभाग के कर्मचारियों पर मनमाने आदेश थोपे जा रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या प्रदेश में बिजली की कमी हो गई है? क्या इसी कारण कर्मचारियों का वेतन काटने का आदेश जारी किया गया है? यह बिजली कर्मियों के साथ अन्याय है, जो नियमों के अनुसार काम कर रहे हैं।
वहीं, कंपनी के प्रबंध संचालक क्षितिज सिंघल ने बताया कि भोपाल, नर्मदापुरम, ग्वालियर और चंबल संभाग के 16 जिलों में 9,92,171 किसानों को दस घंटे बिजली दी जा रही है। 2024-25 में कृषि उपभोक्ताओं को 6,465 करोड़ और 2025-26 में 2,535 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई। बिजली आपूर्ति की पात्रता और अवधि में कोई परिवर्तन नहीं किया है। हमने निर्देश में यह स्पष्ट किया है कि किसी भी ग्रुप में दस घंटे से अधिक बिजली की आपूर्ति का प्रविधान नहीं है, जिसका पालन किया जाए।
उल्लेखनीय है कि किसी माह में एक दिन अधिक आपूर्ति पाई जाती है तो संबंधित ऑपरेटर, दो दिन निरंतर अधिक आपूर्ति पर संबंधित कनिष्ठ अभियंता, पांच दिन होने पर संबंधित उपमहाप्रबंधक और निरंतर सात दिन होने पर संबंधित महाप्रबंधक का एक दिन का वेतन काटा जाएगा।