नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। कैंसर एक ऐसी बीमारी जिसका नाम सुनते ही लोग हिम्मत हारने लगते हैं, लेकिन अब भोपाल स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) कैंसर मरीजों के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरा है। एम्स भोपाल में कैंसर के मरीजों को विश्वस्तरीय इलाज मिल रहा है, और इसमें सबसे खास है यहां लगी अत्याधुनिक ''लीनियर एक्सेलेरेटर'' मशीन से कैंसर का इलाज अब और भी सटीक और सुरक्षित हो गया है।
''लीनियर एक्सेलेरेटर'' एक बहुत ही आधुनिक मशीन है जो कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए उच्च ऊर्जा वाली एक्स-रे का इस्तेमाल करती है। इसकी खासियत यह है कि यह कैंसर के ट्यूमर को बहुत सटीकता से निशाना बनाती है, जिससे आसपास के स्वस्थ अंगों को कम से कम नुकसान पहुंचता है। इससे मरीज को बेहतर परिणाम मिलते हैं और इलाज के साइड इफेक्ट भी कम होते हैं। एम्स भोपाल मध्यप्रदेश का एकमात्र सरकारी अस्पताल है जहां यह अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध है। यहां हर दिन 70 से 80 कैंसर मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है।
रेडियोथेरेपी के साथ-साथ एम्स भोपाल में रक्त विकिरण (ब्लड इर्रेडिएशन) की सुविधा भी है। यह सुविधा उन मरीजों के लिए बहुत जरूरी है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कम होती है, जैसे कैंसर के मरीज। इससे रक्त संक्रमण का खतरा कम होता है और ब्लड बैंक सेवाओं की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
लीनियर एक्सेलेरेटर मशीन से कैंसर का इलाज यानी रेडियोथेरेपी एक बेहद आधुनिक और असरदार तरीका है, लेकिन इसकी लागत निजी अस्पतालों में बहुत अधिक होती है। निजी मल्टीस्पेशलिटी या कैंसर अस्पतालों में एक मरीज के रेडियोथेरेपी सत्र का खर्च 5,000 से 10,000 रुपये प्रति सत्र तक हो सकता है। आमतौर पर कैंसर के इलाज के लिए मरीज को 25 से 35 सत्रों की जरूरत होती है। यानी कुल खर्चा 1.5 लाख से तीन लाख रुपये तक पहुंच सकता है।
हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कैंसर के हर मरीज को नवीनतम तकनीक के माध्यम से प्रभावी और सुलभ उपचार मिल सके। लीनियर एक्सेलेरेटर और रक्त विकिरण जैसी सेवाएं एम्स भोपाल को राज्य के अग्रणी कैंसर उपचार केंद्रों में स्थापित करती हैं।
प्रो. अजय सिंह, कार्यपालक निदेशक, एम्स भोपाल।