
नईदुनिया प्रतिनिधि, छतरपुर। वर्ल्ड कप में साऊथ अफ्रीका की टीम को हराकर विश्व विजेता बनने वाली देश की बेटियों के चर्चे अब हर जगह हैं। इस बेटियों में शामिल एक नाम क्रांति गौड़ का भी है। क्रांति कौन है यह बताना अब किसी को जरूरी नहीं है क्योंकि क्रांति का नाम इस समय पूरे देश में छाया हुआ है। छतरपुर जिले के घुवारा कस्बे से ताल्लुक रखने वाली क्रांति 6 नवंबर को पहली बार छतरपुर आ रही है।
जिस क्रांति के पास कभी क्रिकेट खेलने के लिए जूते तक नहीं हुआ करते थे वो बुंदेलखंड सहित देश की पहचान बन गई है। शुरुआती दौर में कठिन संघर्ष से गुजरने वाली क्रांति के अंदर क्रिकेट का ऐसा जुनून हुआ करता था कि वह लड़कों के साथ भी क्रिकेट खेला करती थी।
क्रिकेट की बारीकियां सिखाने वाले राजीव बिलथरे ने बताया कि वो दिन उनको याद है जब क्रांति के पिता मुन्नालाल कांति को लेकर आए थे। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए निशुल्क रूप से क्रांति को क्रिकेट की बारीकियां सिखाने का काम किया। पिता मोटरसाइकल पर बिठाकर मैच खिलाने ले जाया करते थे क्रांति के भीतर क्रिकेट के प्रति बढ़ती दिलचस्पी के आगे पिता आर्थिक तंगी के दौर में क्रांति को मोटरसाइकिल पर बिठाकर क्रिकेट खिलाने के लिए यहां वहां ले जाया करते थे।
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पिता मुन्ना सिंह ने बताया कि जब लोग कहते थे कि आपकी बेटी अच्छा खेलती है इसे खिलाओ, तब मेरा भी मन उत्साहित होता था। क्रांति की बड़ी बहन जिया ने बताया कि आर्थिक तंगी का ऐसा दौर भी परिवार ने झेला है जब पैसे नहीं थे तब घर खर्च के लिए मां को अपने गहने तक बेचने पड़े थे।
क्रांति गौड़ के स्वजन के अनुसार क्रांति 6 नवंबर को मुंबई से खजुराहो तक फ्लाइट से आएगी। उसके बाद खजुराहो से घुवारा तक वाया कार जाएगी। क्रांति के बड़े भाई मयंक भी उनके साथ मुंबई में है। जिले भर में क्रांति के स्वागत की तैयारियां चल रही हैं। जिस आंगन में अभी तक सालों से सन्नाटा सा पसरा नजर आता था वहां छह नवंबर को बड़ा भव्य आयोजन होने जा रहा है।