MP में एक दृश्य ऐसा भी, स्कूली बच्चे हाथ जोड़कर बोले स्कूल भवन बना दो सरकार, कब तक झोपड़ी में पढ़ें
गौरतलब है कि जिले भर में 178 स्कूल भवन विहीन हो गए हैं। इन स्कूलों के लिए नए भवन बनाने का प्रस्ताव भोपाल भेजा गया है, जहां फाइल अटककर रह गई है। मध्यान ...और पढ़ें
Publish Date: Fri, 26 Dec 2025 07:06:54 PM (IST)Updated Date: Fri, 26 Dec 2025 07:10:05 PM (IST)
बच्चे हाथ जोडकर लगा रहे स्कूल संचालन के लिए भवन बनाने की गुहारHighLights
- डेढ वर्ष से झोपड़ी में प्राथमिक सरकारी स्कूल संचालन की बनी मजबूरी
- स्कूल के लिए भवन न होने से कई बच्चों ने नहीं कराया स्कूल में दाखिला
- जिले भर में 178 स्कूल नए भवन के लिए भोपाल भेजा गया है प्रस्ताव
नईदुनिया प्रतिनिधि, डिंडौरी। आदिवासी बहुल जिले डिंडौरी में सरकारी स्कूल में अध्ययनरत बच्चों को हाथ जोडकर स्कूल संचालन के लिए नया भवन बनाने की गुहार करनी पड रही है। आलम यह है कि जिले के मेहंदवानी जनपद अंतर्गत ग्राम भोडासाज के नेटीटोला में सरकारी प्राइमरी स्कूल घासफूस की झोपडी में मजबूरन संचालित की जा रही है। डेढ वर्ष से बच्चे भवन की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सुनवाई प्रस्ताव भेजने पर ही अटकी हुई है। गांव में स्कूल संचालन के लिए भवन न होने से कई बच्चों ने इस वर्ष स्कूल में दाखिला भी नहीं कराया है।
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अगस्त 2024 में तोड दिया गया था स्कूल भवन
- कक्षा पहली से पांचवी कक्षा तक में इस समय कुल 37 बच्चे अध्यनरत है। यहां एक नियमित शिक्षक के साथ एक अतिथि शिक्षक भी अपनी सेवाए दे रहे है।
- ग्रामीणों ने बताया कि अगस्त 2024 को शहपुरा एसडीएम के आदेश से जर्जर भवन होने के कारण भवन को तुड़़वा दिया गया था।
- भवन को टूटे लगभग डेढ वर्ष से हो गए, लेकिन नए भवन की व्यवस्था नहीं हो पाई। ऐसी स्थिति में बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा, इस पर सवाल उठ रहे हैं।
- ग्रामीणों ने एक जुलाई 2025 को जनसुनवाई में भी शिकायत की थी। इसके बाद तत्कालीन डीपीसी को शिकायत पत्र अग्रिम कार्यवाही के लिए भेज दिया गया था।
- उस शिकायत पर भी कई महीना बीत जाने के बाद कोई पहल नहीं हो पाई। 20 अगस्त 2025 को सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग से भी शिकायत की गई थी। वह पत्र भी ठंडे बस्ते में चला गया।
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15 वर्षों से जर्जर भवन में संचालित होता रहा स्कूल
- ग्रामीणों ने बताया कि नेटीटोला में स्कूल भवन वर्ष 1999 में बनाया गया था। निर्माण में बरती गई लापरवाही के चलते 2009 में ही भवन जर्जर हो गया।
- 2009 से 2024 तक जर्जर भवन में ही कक्षाएं संचालित होती रहीं। बारिश में छत से पानी टपकना, प्लास्टर गिरना आम बात थी, लेकिन उसके बाद भी विद्यार्थी जान जोखिम में डालकर अध्ययन कर रहे थे। 2024 में भरी बरसात के दौरान भवन को प्रशासन ने गिरवा दिया।
उस समय दूसरे सरकारी भवन में वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी, लेकिन बारिश थमते ही भवन के लिए घासफूस की झोपडी का सहारा लेना मजबूरी बन गई।
यहां शिक्षकों की टेबल कुर्सी भी रखना भी मुश्किल है। ग्रामीण शिकायत कर करके थक चुके हैं। इस मामले में पहल करने की मांग की जा रही है। मैं स्कूल भवन के लिए शिकायत कर करके थक चुका हूं। अगस्त 2024 में बारिश के दौरान भवन जर्जर होने के चलते उसे गिरा दिया गया था। उसके बाद से लगभग डेढ वर्ष बीत गए, नए भवन की व्यवस्था नहीं हो पाई। ग्रामीणों के सहयोग से ही जो घास फूस की झोपडी पन्नी तानकर बनाई गई है, वहीं पर स्कूल संचालन करने की मजबूरी है। बीईओ, बीआरसी सहित जिला अधिकारियों को भी इस समस्या की जानकारी है। स्कूल भवन न होने से कई बच्चे तो इस वर्ष दाखिला भी नहीं लिए हैं।
प्रकाश राज, प्रधानाध्यापक, प्राथमिक स्कूल नेटीटोला मेहंदवानी