वीरेंद्र तिवारी. ग्वालियर। वर्ष 2003 में अहमदाबाद में हुई पहली ग्लोबल इन्वेंस्टर मीट बाइब्रेंट गुजरातज् की चकाचौंध ने पूरे देश के राज्यों में ऐसी समिट कराने की होड़ शुरू कर दी। उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी थे। वर्ष 2007 में जब मप्र की कमान शिवराज सिंह चौहान ने संभाली तब अक्टूबर में इंदौर के विजय नगर क्षेत्र के बड़े भूखंड पर भव्य पंडाल लगाकर इन्वेंस्टर समिट का आगाज किया गया था। तबसे लेकर 2023 तक कुल सात ग्लोबल इन्वेंस्टर समिट की जा चुकी हैं।
अंतिम ग्लोबल इन्वेंस्टर समिट पिछले साल जनवरी में इंदौर में हुई थी और अगली समिट अगले साल फरवरी में भोपाल में होने जा रही है। इन समिट का कुल जमा देखें तो पता चलता है कि समिट में निवेश के आंकड़े तो बढ़ा-चढ़ाकर बताए जाते हैं लेकिन हकीकत में उसका दसवां अंश भी धरातल पर नहीं आ पाता है। जैसे पिछले वर्ष हुई इन्वेंेस्टर मीट को छोड़ भी दें तो हमारे पास 2016 में हुई अनंतिम मीट के आंकड़े मौजूद हैं। इनका विश्लेषण सारी कहानी कह देता है।
शिवराज सरकार के कार्यकाल में हुईं छह समिट में 17 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए, जिसमें से जमीन पर महज करीब डेढ़ लाख करोड़ के प्रोजेक्ट ही उतरे हैं। यानी कुल हुए निवेश प्रस्ताव का 8.8 प्रतिशत। हालांकि सरकार का दावा है कि पिछले 15 साल में समिट के माध्यम से मध्य प्रदेश में आए निवेश से 2 लाख 37 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। निवेश प्रस्ताव और तमाम तरह की सहूलियत देने का दावा करने वाली प्रदेश सरकार को इस बात का विश्लेषण करना चाहिए कि कहां कमी रह रही है, जिससे निवेशक निवेश का मन तो बनाता है लेकिन न तो उसके प्रोजेक्ट का भूमिपूजन हो पाता है न ही फीता कट पाता है।
वर्ष एमओयू निवेश प्रस्ताव जमीन पर उतरे रोजगार संख्या
2007 102 1.20 लाख करोड़ 17,311 करोड़ 49,750
2010 109 2.35 लाख करोड़ 26,879 करोड़ 25,000
2012 425 3.50 लाख करोड़ 26,054 करोड़ 31, 530
2014 3,160 4.35 लाख करोड़ 49,272 करोड़ 38,750
2016 2,635 5.63 लाख करोड़ 32,597 करोड़ 92,700
कुल 6,431 17.03 लाख करोड़ 1,52,113 करोड़ 2,37,730
अक्टूबर 2019 से 2022 के बीच तीन साल में प्रदेश में हुए विदेशी निवेश को देखें तो यह अन्य राज्यों की तुलना में नाममात्र का है। सर्वाधिक निवेश महाराष्ट्र के हिस्से आया है जो करीब 3.51 लाख करोड़ रुपये का है। यह देश में हुए कुल निवेश का करीब 27 फीसद है। दूसरे नंबर पर कर्नाटक है जहां 2.93 लाख करोड़ का विदेशी निवेश आया है यह देश में हुए कुल निवेश का 23 फीसद है। यदि हम मप्र की बात करें तो इस अवधि में प्रदेश में कुल 3.8 हजार करोड़ का निवेश आया है जो देश में होने वाले कुल निवेश का आधा प्रतिशत से भी कम है।