
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। कीटनाशकों का असावधानीपूर्वक प्रयोग कभी भी जानलेवा हो सकता है। इसी तरह की एक घटना में गेहूं को घुन से बचाने के लिए छिड़के गए सल्फास से बनी जहरीली गैस के कारण दो बच्चों की जान चली गई। उनके माता-पिता गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती हैं।
ग्वालियर के गोला का मंदिर थाना क्षेत्र के प्रीतम विहार कॉलोनी में श्रीकृष्ण यादव ने अपने तीन मंजिला घर के भूतल पर बने कमरे में रखे 20 क्विंटल गेहूं को घुन से बचाने के लिए बोरियों पर सल्फास को पानी में मिलाकर छिड़काव किया था। कमरे के बगल में सतेंद्र शर्मा पत्नी रजनी, चार वर्षीय बेटे वैभव और 16 वर्षीय बेटी क्षमा के साथ रहते हैं।
रविवार-सोमवार की दरमियानी रात करीब एक बजे पूरे परिवार की तबीयत बिगड़ गई। रजनी और क्षमा को उल्टियां हो रही थीं। सतेंद्र का भी दम घुट रहा था। सतेंद्र के पुकारने पर मालिक श्रीकृष्ण यादव और पड़ोसी आए तो कमरे में जहरीली गैस भरी हुई थी।
किसी तरह से इन लोगों ने चारों को बाहर निकाला और सोमवार अलसुबह अस्पताल लेकर पहुंचे। वैभव को मृत घोषित कर दिया गया। मंगलवार को क्षमा की भी मौत हो गई। सतेंद्र और उनकी पत्नी का उपचार जारी है।
इस बीच, श्रीकृष्ण यादव फरार है। गोला का मंदिर थाना के टीआई हरेंद्र शर्मा ने बताया कि गेहूं पर कीटनाशक छिड़का गया था। जहरीली गैस सतेंद्र शर्मा के कमरे तक पहुंच गई। इसी वजह से बच्चों की मौत हो गई। फोरेंसिक जांच भी कराई गई है।
हृदय पर असर करती है जानलेवा फास्फीन गैस
सल्फास की गोली या स्प्रे से फास्फीन गैस निकलती है जो हृदय पर गहरा असर करती है। अधिकांश मामलों में मृत्यु दर 90 से 95 प्रतिशत रहती है। इस जहर का कोई भी एंटीडोट उपलब्ध नहीं है। जहर के असर से उल्टी, पेट में दर्द, सिरदर्द, पतला दस्त, काला मल, खून की उल्टी, सांस में अवरोध, गुर्दे का काम न करना, हृदय की गति असामान्य होना, बेहोशी और लहसुन या सड़ी मछली की गंध आने के लक्षण मिलते हैं।
नीतेश मुदगल, मेडिसिन विशेषज्ञ
खुले बाजार में नहीं बेच सकते
कृषि-विज्ञान के क्षेत्र में यह माना गया है कि इस प्रकार के फ्यूमीगेंट, कीटनाशक बहुत सावधानीपूर्वक उपयोग किए जाने चाहिए। विशेष रूप से जहां मानव संपर्क संभव हो। इनसे निकली गैस कई अंगों को प्रभावित करती है। इससे शरीर की नसें फट जाती हैं। सल्फास को खुले बाजार में बेचने पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद यह बिक रहा है, तो बड़ी चूक है।
अंकित पांडेय, कृषि विज्ञानी