नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। लव-जिहाद के लिए मुस्लिम युवकों को फंडिंग करने के मामले में फरार कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी उर्फ अनवर डकैत की बेटी आयशा खान को जिला कोर्ट से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने उसकी ओर से प्रस्तुत जमानत आवेदन निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी अभियुक्त को सिर्फ इसलिए कि वह महिला है, अपराध करने की स्वतंत्रता नहीं मिल जाती।
उल्लेखनीय है कि आयशा को पुलिस ने अपने पिता की फरारी में सहयोगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। वह लगातार अनवर डकैत के संपर्क में थी। आयशा खान ने यह कहते हुए जमानत का आवेदन प्रस्तुत किया था कि उसका प्रकरण से कुछ लेना-देना नहीं है। वह एलएलबी तक पढ़ी है और न्यायिक सेवा की तैयारी कर रही है। जेल में रहने से उसका पूरा भविष्य खराब हो जाएगा। उसका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है।
एजीपी अजय मिमरोट ने जमानत आवेदन का विरोध करते हुए तर्क रखा कि आरोपित के खिलाफ संगठित अपराध का आरोप है, जो आजीवन कारावास से दंडनीय है। प्रकरण के एक साक्षी के कथन से अभियुक्त द्वारा प्रथम दृष्टत: अपराध किए जाने की पुष्टि होती है। ऐसी स्थिति में आरोपित को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत आवेदन निरस्त करते हुए कहा कि आरोपित को जमानत का लाभ दिए जाने की स्थिति में उसके फरार होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। किसी अभियुक्त को सिर्फ इसलिए कि वह महिला है, अपराध करने की स्वतंत्रता नहीं मिल जाती।
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एडवोकेट मिमरोट ने बताया कि बाणगंगा पुलिस ने आयशा के खिलाफ दो अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं। इनमें से एक मामले में उसे सोमवार को जमानत मिल गई थी, लेकिन मंगलवार को दूसरे मामले में कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया। ऐसी स्थिति में वह फिलहाल जेल में ही रहेगी।