
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। अंतरराष्ट्रीय रामकथा प्रवक्ता संत मोरारी बापू ने कहा कि श्रीकृष्ण की वाणी गीता और राम का चरित रामायण सांप्रदायिक नहीं वैश्विक महाग्रंथ हैं। वे ओशो जन्मोत्सव अंतर्गत संस्कारधानी मेंं आयोजित रामकथा से पूर्व शुक्रवार को पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रलोभन देकर कराया जा रहा धर्मांतरण चिंताजनक है। बापू ने अपनी बात विशद करते हुए कहा कि रामायण और गीता सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि जीवन जीने की शिक्षा देते हैं, आर्ट आफ लिविंग सिखाते हैं। इसलिए ये ग्रंथ पाठ्यक्रम में सम्मलित किए जाने योग्य हैं। जो लोग इनका विरोध करते हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि देश में बढ़ रहा धर्मांतरण चिंता का विषय है। अन्य हिस्सों की भांति गुजरात में भी लालच देकर धर्मांतरण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यही वजह है कि गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में हर माह एक बार रामकथा जरूर कहते हैं, ताकि हिंदू स्वधर्म की महिमा जाने।
दरअसल, कुछ लोग सेवा को अपना मकसद बताते हैं लेकिन उसके बाद धर्मांतरण क्यों हो जाता है। श्रीकृष्ण ने कहा है कि स्वधर्म सबसे ऊपर है। इसलिए धर्म की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए, जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।
भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांगों पर मोरारी बापू ने कहा कि चारों पीठ के शंकराचार्य जो भी निर्णय लेंगे, वे उसका अनुशरण करने तैयार हैं। वास्तव में हिंदुत्व का दायरा बहुत व्यापक है जो सबको समाहित कर लेता है। देश में सांप्रदायिक तनाव और बढ़ते सामाजिक विवाद चिंता का विषय हैं। ये देश विवाद नहीं संवाद का है और संवाद से ही समन्वय आएगा। बीते कुछ समय से देश में द्वेष और ईर्ष्या के मामले बढ़े हैं जो देश के लिए ठीक नहीं है, हम भारत में बस एकता चाहते हैं।