
नईदुनिया न्यूज, पेटलावद। सिविल हॉस्पिटल शनिवार रात इलाज का नहीं, बल्कि अराजकता और गुंडागर्दी का अड्डा बन गया। जिस जगह मरीजों की जान बचाई जाती है, वहीं कुछ असंयमित युवकों ने कानून को खुलेआम चुनौती देते हुए जमकर हंगामा किया। अस्पताल स्टाफ और युवकों के बीच शुरू हुआ विवाद देखते ही देखते हिंसक रूप ले बैठा और सिविल अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड रणक्षेत्र में तब्दील हो गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, मामूली कहासुनी के बाद युवकों का गुस्सा बेकाबू हो गया। गाली-गलौज के बाद मारपीट शुरू हुई और फिर अस्पताल में तोड़फोड़ का सिलसिला चल पड़ा। इमरजेंसी कक्ष में लगी लाइटें, बिजली के उपकरण, फर्नीचर और अन्य सामान तोड़ दिए गए। शोर-शराबे के कारण मरीज और उनके परिजन भय के माहौल में इधर-उधर भागते नजर आए। कुछ देर के लिए अस्पताल की आपात सेवाएं भी प्रभावित हुईं।
हंगामे के दौरान अस्पताल कर्मचारियों के साथ जमकर मारपीट की गई। कर्मचारियों का कहना है कि ड्यूटी के दौरान उनके साथ इस तरह का व्यवहार बेहद निंदनीय है। कुछ कर्मचारियों को चोटें भी आई हैं। वहीं विवाद में शामिल युवकों के साथ भी हाथापाई होने की बात सामने आई है, जिससे हालात और अधिक तनावपूर्ण हो गए।
युवकों ने खास तौर पर इमरजेंसी वार्ड को निशाना बनाया। वहां लगी लाइटें, वायरिंग और उपकरणों को नुकसान पहुंचाया गया। शासकीय संपत्ति को हुई क्षति का आकलन किया जा रहा है। इस तोड़फोड़ के चलते अस्पताल प्रबंधन को तत्काल मरम्मत के लिए अतिरिक्त इंतजाम करने पड़े।
घटना की सूचना मिलते ही पेटलावद थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने हालात को काबू में लिया और तीन युवकों को गिरफ्तार कर थाने लाया गया। अन्य संदिग्धों की पहचान की जा रही है। पुलिस अस्पताल परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाल रही है, ताकि पूरे घटनाक्रम की सच्चाई सामने आ सके।
घटना के बाद अस्पताल प्रशासन और कर्मचारियों में भारी रोष है। सीबीएमओ डाक्टर एमएल चौपड़ा का कहना है कि अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थान पर हिंसा करना न केवल अमानवीय है, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवाओं पर सीधा हमला है। कर्मचारियों ने मांग की है कि आरोपितों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी अस्पताल को अपनी दबंगई का शिकार न बना सके।
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रात के समय पर्याप्त पुलिस बल और सुरक्षाकर्मियों की तैनाती न होने से ऐसी घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं। अस्पताल स्टाफ ने प्रशासन से मांग की है कि सिविल हॉस्पिटल में स्थाई सुरक्षा व्यवस्था, पुलिस और सख्त नियम लागू किए जाएं।
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फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। विवाद की असली वजह क्या थी,यह अभी पता नहीं लग पाया है। इस पूरे मामले की एफआईआर डाक्टर हिमांशु वैष्णव की शिकायत पर दर्ज की गई है। पुलिस के अनुसार आरोपितों में धर्मेन्द्र भाभर सहित अर्जुन मुनिया, अरुण दायमा, दिवान खडिया, कमलेश मुनिया, आकाश मुनिया के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया है। अन्य आरोपितों की पहचान व गिरफ्तारी की कार्रवाई जारी है।
टीआई निर्भय सिंह भूरिया के अनुसार आरोपितों पर शासकीय कार्य में बाधा डालने, शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, मारपीट, हंगामा व कानून व्यवस्था भंग करने जैसी गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। पुलिस का कहना है कि यह केवल अस्पताल में हंगामा नहीं था, बल्कि सीधे तौर पर शासन और कानून व्यवस्था को चुनौती देने का मामला है।