नईदुनिया प्रतिनिधि, मुरैना। पोरसा तहसील में फर्जी लोकसेवा केंद्र सामने आया है। फर्जी लोकसेवा केंद्र संचालक ने तहसील के अधिकारी-कर्मचारियों के साथ मिलकर 830 से ज्यादा आवेदन पास भी करवा दिए। यह सनसनीखेज मामला पुलिस थाने तक भी पहुंचा, आरोपित को पकड़ा भी गया, इसके बाद थाने में मोटी घूस वसूली हुई, शिकायत करने वाले लोकसेवा केंद्र संचालक को भी हर्जाना दिलवाया गया। इसके बाद मामले को रफा-दफा कर दिया गया। अब शिकायतकर्ता के भी सुर बदल गए हैं।
पोरसा लोकसेवा केंद्र के संचालक सत्यभान सिंह उर्फ सत्या तोमर, अनूप सिंह तोमर और विवेक शर्मा ने इस फर्जी लोकसेवा केंद्र का खुलासा किया और 14 अगस्त को थाने में शिकायत लेकर पहुंच गया। लोकसेवा केंद्र के संचालकों ने ही बताया कि पोरसा निवासी धर्मेंद्र राठौर नाम का युवक कंप्यूटर की दुकान की आढ़ में फर्जी लोकसेवा केंद्र चला रहा है। छह महीने से ज्यादा समय से यह नकली लोकसेवा केंद्र चल रहा है, जिसने आय, जाति, जन्म और मूल निवासी प्रमाण पत्र के 830 आवेदन स्वीकृत करवा दिए हैं।
लोकसेवा केंद्र पर जिस आवेदन की फीस 50 से 100 रुपये तक है, उस आवेदन के 800 से 1000 रुपये तक वसूले गए हैं और असली लोकसेवा केंद्र को इन आवेदनों का एक पैसा राजस्व नहीं मिला। शिकायत के बाद पुलिस ने धर्मेंद्र राठौर को पकड़ा। नियमानुसार यह सरकारी योजना में सेंधमारी और धोखाधड़ी का केस है, लेकिन बिना टीआइ के चल रहे पोरसा थाने के पुलिसकर्मियों ने आरोपित धर्मेंद्र राठौर को एक दर्जन से ज्यादा धाराओं का आरोपी बताकर 10 साल तक की सजा की धमकियां देकर दो घंटे से ज्यादा देर तक डराया।
थाने के ही एक कर्मचारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, कि आरोपित धर्मेंद्र राठौर से तीन लाख रुपये की वसूली हुई, इसमें से लगभग 40 हजार रुपये बतौर हर्जाना के लोकसेवा केंद्र के संचालक सत्या तोमर को दिलवाए गए। इसके बाद मामले को रफा-दफा कर दिया गया।
अगर इस मामले में पुलिस एफआईआर दर्ज कर जांच करती तो पोरसा तहसील के कई अधिकारी-कर्मचारी भी इस फर्जीवाड़े के हिस्सेदार पाए जाते। क्योंकि लोकसेवा केंद्र पर के आवेदन लिए गए। इन आवेदनों पर 830 आय, जाति, जन्म और मूल निवासी प्रमाण पत्र पोरसा तहसील से जारी हुए हैं। शासन का नियम यह है, कि लोकसेवा केंद्र से आवेदनों के साथ एक डाक जाती है।
इस डाक में आवेदकों के नाम व अन्य जानकारियां होती हैं, उस पर तहसील के अधिकारी निर्णय लेते हैं। पोरसा लोकसेवा केंद्र ने कोई डाक नहीं भेजी और तहसील के अधिकारी-कर्मचारियों ने फर्जी लोकसेवा केंद्र चला रहे धर्मेंद्र राठौर के कहने भर से 830 आवेदन पास कर दिए। इनमें से अधिकांश प्रमाण पत्रों के गलत उपयोग होने के अंदेशा है।
फर्जी लोकसेवा केंद्र चलाने के लिए आरोपित धर्मेंद्र राठौर ने पोरसा लोकसेवा केंद्र के आइडी पासवर्ड की भी चोरी की है। यह बात खुद लोकसवा केंद्र के संचालकों ने पुलिस को दिए आवेदन में बताई है। इसके अलावा पोरसा बीआरसी कार्यालय में पदस्थ सोनम नाम की आधार आपरेटर कर्मचारी के डाेंगल तक का उपयोग हुआ है। ऐसे में धर्मेंद्र राठौर द्वारा फर्जी आधार कार्ड बनाने की संभावनाएं भी प्रबल हैं।
बताया गया है कि बीआरसी कार्यालय में नौकरी लगने से पहले सोनम धर्मेंद्र राठौर की दुकान पर काम करती थी। यह जांच का विषय है कि सोनम ने धर्मेंद्र को डोंगल खुद दिया या फिर चोरी या अन्य किसी तरीके से डोंगल का उपयोग कर रहा था।
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पोरसा थाना एसआइ उपेंद्र पाराशर ने कहा कि लोकसेवा केंद्र संचालक ने ऐसी शिकायत की थी, हमने दोनों पक्षों को थाने में भी बुलाया। जिस धर्मेंद्र राठौर पर नकली लोकसेवा केंद्र चलाने के आरोप हैं, उसने अपनी गलती मानी और शासन को जितने राजस्व का घाटा हुआ था, वह पूरी राशि लोक सेवा केंद्र संचालक को दे दी है। अब इस मामले में क्या कार्रवाई करते।
पोरसा लोकसेवा केंद्र संचालक सत्यभान सिंह तोमर ने कहा कि जिसने आईडी पासवर्ड चोरी कर लोकसेवा केंद्र का गलत तरीके से किया, उसने अपनी गलती मान ली है। यह गुनाह है इसीलिए उसने अपना अपराध कुबूल करते हुए आवेदनों की फीस की पूरी राशि हमें दे दी। अब इस मामले में आपको कुछ और जानकारी चाहिए तो पोरसा आ जाइए।