
नईदुनिया प्रतिनिधि, सिवनी। विशेष जांच दल (एसआईटी) ने हवाला रुपयों की डकैती प्रकरण में गिरफ्तार एसडीओपी पूजा पांडे समेत 11 पुलिस कर्मियों की दो दिन की पुलिस रिमांड पूरी होने के बाद गुरूवार को पुन: जिला न्यायालय में पेश किया। न्यायालय ने सभी 11 पुलिस कर्मियों को 30 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। 17 अक्टूबर को एसडीओपी पूजा पांडे पुन: अपनी बच्ची को गोद में लेकर न्यायालय में पेश हुई। एसआइटी अब तक हवाला मामले में 2.70 करोड़ रुपये बरामद कर चुकी है। इसमें 1.45 करोड़ रुपये एसडीओपी पूजा पांडे व एसआई अर्पित भैरम तथा 1.25 करोड़ रुपये नागपुर के आकाश जैन व अमन गुरनानी से जब्त किए गए थे। दो दिन की पुलिस रिमांड में आरोपित पुलिस कर्मियों के बयान दर्ज करने के साथ इलेक्ट्रानिक साक्ष्य तैयार करने इसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई। जबलपुर क्राइम ब्रांच के एएसपी व एसआइटी प्रभारी जितेन्द्र सिंह ने नईदुनिया को बताया कि 17 अक्टूबर को न्यायालय में पेश किए गए सभी 11 पुलिस कर्मियों को 30 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
बयान में सामने आए तथ्यों को खंगाकर एसआईटी प्रकरण की जांच को आगे बढ़ा रही है। प्रकरण में जांच की आंच अन्य लोगों तक भी पहुंच सकती है। हालाकि विस्तृत जांच के संबंध में कुछ भी बोलने से अधिकारी बच रहे हैं। जानकारी के अनुसार हाईवे में लगे सीसीटीवी फुटेज के साथ ही आरोपित पुलिस कर्मियों के मोबाइल काल डिटेल को खंगाला जा रहा है। 8-9 अक्टूबर की रात हवाला कारोबारियों को पकड़ने के घटनाक्रम में उपयोग तीन वाहन पहले ही जब्त किए जा चुके हैं। गंभीरता के हवाला प्रकरण तथा पुलिस कर्मियों पर डकैती, अपहरण व अन्य धाराओं में दर्ज प्रकरण में जांच रही है।
14 अक्टूबर को दर्ज एफआईआर में गिरफ्तार निलंबित एसडीओपी पूजा पांडे, एसआई अर्पित भैरम, एसडीओपी कार्यालय का चालक आरक्षक रितेश वर्मा, रीडर प्रधान आरक्षक रविंद्र उइके, प्रधान आरक्षक माखन इनवाती, आरक्षक योगेंद्र चौरसिया, जगदीश यादव, गनमैन केदार बघेल, सुभाष सदाफल, लखनादौन एसडीओपी कार्यालय के रीडर राजेश जंघेला व बंडोल थाना के आरक्षक नीरज राजपूत को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है।
सभी पुलिस कर्मियों पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 310(2) डकैती, 126(2) गलत तरीके से रोकना, 140(3) अपहरण व 61(2) आपराधिक षडयंत्र का प्रकरण दर्ज है, जिसकी जांच एसआईटी कर रही है। जबलपुर आइजी के निर्देशन में गठित एसआईटी में क्राइम ब्रांच एएसपी जितेन्द्र सिंह के अलावा तीन कर्मचारियों तथा लखनवाड़ा थाना प्रभारी चन्द्रकिशोर सिरामे को शामिल किया गया है। डकैती की धारा में आजीवन या दस साल कारावास का प्रावधान है। अपहरण में 7 साल सजा व गलत तरीके से रोकना व आपराधिक षडयंत्र की धारा में भी कारावास का प्रावधान है।
हवाला कांड के बावजूद पुलिस विभाग में कार्यरत प्रधान आरक्षक के एफआईआर दर्ज करने के बदले 5 लाख रुपये मांगने के मामले में 75 हजार रुपये लेते हुए लोकायुक्त द्वारा पकड़े जाने से कर्मचारियों के भ्रष्ट आचरण की कलई खुल गई है। वहीं अवैध शराब के झूठ मामले में फंसाने संबंधी एएसआई का कथित आडियो सामने आने से विभाग सहम गया है। किसकी सह पर प्रधान आरक्षक जैसा अदना सा कर्मचारी 5 लाख रुपये की रिश्वत एफआईआर दर्ज करने के बदले मांग रहा था, यह भी विभागीय अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बन गया है। देश भक्ति और जन सेवा का नारा बुलंद करने वाले पुलिस विभाग के कर्मचारियों के संदिग्ध आचरण ने विभाग की छवि को गहरा धक्का लगा है। सिवनी के हवाला कांड ने पुलिस विभाग के पूरे जबलपुर संभाग को हिलाकर रख दिया है।