'पूरे षड्यंत्र का हिस्सा था कॉन्सटेबल प्रमोद सोनी', 3 करोड़ की हवाला डकैती के मामले जिला न्यायालय ने खारिज की जमानत
करीब तीन करोड़ रुपये की हवाला डकैती मामले में जिला न्यायालय ने जबलपुर क्राइम ब्रांच आरक्षक प्रमोद सोनी की जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने जांच ज ...और पढ़ें
Publish Date: Sat, 13 Dec 2025 01:32:25 PM (IST)Updated Date: Sat, 13 Dec 2025 01:32:25 PM (IST)
हवाला डकैती का मामला। (फाइल फोटो)HighLights
- न्यायालय ने जांच प्रभावित होने की आशंका जताई
- कॉल डिटेल्स से षड्यंत्र में संलिप्तता उजागर
- डिजिटल साक्ष्य डिलीट करने का आरोप सामने आया
नईदुनिया प्रतिनिधि, सिवनी। करीब तीन करोड़ रुपये की हवाला डकैती के सनसनीखेज मामले में जिला न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए जबलपुर क्राइम ब्रांच में पदस्थ आरक्षक प्रमोद सोनी की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
विशेष न्यायाधीश (एट्रोसिटीज)/अपर सत्र न्यायाधीश सिवनी गालिब रसूल ने 11 दिसंबर को पारित आदेश में स्पष्ट किया कि प्रकरण की जांच अभी जारी है और उपलब्ध तथ्यों व परिस्थितियों को देखते हुए आरोपित को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। न्यायालय ने यह भी माना कि आरोपित की रिहाई से साक्ष्यों के प्रभावित होने और जांच पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका बनी हुई है।
यह मामला केवल एक डकैती तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि पुलिस महकमे के भीतर सक्रिय एक संगठित आपराधिक नेटवर्क की परतें भी खोल रहा है। जांच में सामने आए कॉल डिटेल्स, आपसी संपर्क, डिजिटल साक्ष्य और घटनाक्रम ने इस पूरे प्रकरण को गंभीर बना दिया है। इससे पहले भी इसी हवाला डकैती मामले में अन्य आरोपितों की जमानत याचिकाएं न्यायालय द्वारा खारिज की जा चुकी हैं।
जमानत याचिका खारिज
- न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया आरोपित आरक्षक प्रमोद सोनी की भूमिका संदिग्ध प्रतीत होती है। जांच अभी पूर्ण नहीं हुई है और कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अनुसंधान जारी है। ऐसे में आरोपित को जमानत देने से न केवल साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना रहेगी, बल्कि अन्य आरोपितों को भी लाभ मिल सकता है।
- उल्लेखनीय है कि इससे पहले 25 नवंबर को हवाला प्रकरण के अन्य दो आरोपित जबलपुर के स्नेह नगर निवासी वीरेन्द्र दीक्षित और पंचशील नगर गौरीघाट निवासी पंजू गिरी गोस्वामी की जमानत याचिकाएं भी न्यायालय ने खारिज कर दी थीं। प्रमोद सोनी की यह दूसरी नियमित जमानत याचिका थी, जिसे 4 दिसंबर को प्रस्तुत किया गया था। इससे पूर्व 24 नवंबर को उसकी पहली जमानत याचिका भी खारिज हो चुकी थी।
अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें
- न्यायालय में आरोपित की ओर से अधिवक्ता योगेंद्र सिंह ठाकुर ने यह तर्क दिया कि प्रमोद सोनी की भूमिका केवल सूचना देने तक सीमित थी। उन्होंने कहा कि जैसे ही उसे रुपयों के परिवहन की जानकारी मिली, उसने वरिष्ठ अधिकारी डीएसपी पंकज मिश्रा को सूचित कर दिया था, जिसके बाद उसका नागरिक दायित्व समाप्त हो जाता है।
- वहीं अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक नेतराम चौरसिया ने जमानत का कड़ा विरोध करते हुए न्यायालय के समक्ष कॉल डिटेल रिकॉर्ड, आपसी संपर्क और डिजिटल साक्ष्य प्रस्तुत किए। अभियोजन ने दलील दी कि प्रमोद सोनी केवल सूचना देने वाला नहीं, बल्कि पूरे षड्यंत्र का सक्रिय हिस्सा था।
कॉल डिटेल्स से उजागर हुई साजिश
- जांच में सामने आए तथ्यों के अनुसार 8 अक्टूबर की रात आरोपित पंजू गोस्वामी ने आरक्षक प्रमोद सोनी को रात 10.44 बजे फोन किया था। इसके बाद प्रमोद सोनी ने रात 11.12 बजे डीएसपी पंकज मिश्रा को रुपयों के परिवहन की सूचना दी। लेकिन इसी बीच 8 अक्टूबर रात 10 बजे से 9 अक्टूबर रात 10 बजे के बीच डीएसपी पंकज मिश्रा और प्रमोद सोनी के बीच कुल 16 बार मोबाइल पर बातचीत हुई, जिसमें 13 कॉल लूट से पहले और 3 कॉल लूट के बाद की गईं।
- इतना ही नहीं, प्रमोद सोनी और हवाला कारोबारी पंजू गोस्वामी के बीच 25 बार बातचीत हुई, जिनमें 18 कॉल लूट से पहले और 7 कॉल लूट के बाद की गईं। तीनों आरोपितों के बीच कांफ्रेंस कॉल पर बातचीत के भी साक्ष्य मिले हैं। अभियोजन के अनुसार, यह संपर्क साधारण सूचना तक सीमित नहीं था, बल्कि सुनियोजित आपराधिक षड्यंत्र की ओर इशारा करता है।
डिजिटल साक्ष्य मिटाने का आरोप
- जांच में यह भी सामने आया कि लूट से जुड़े एक यूट्यूब लिंक को प्रमोद सोनी के मोबाइल पर भेजा गया था। बाद में यह लिंक तीनों आरोपितों ने अपने-अपने मोबाइल फोन से डिलीट कर दिया। इसके अलावा, लूट की रकम मिलने के बाद किसी भी वरिष्ठ अधिकारी को घटना की जानकारी नहीं दी गई और अवैध कृत्य को जानबूझकर संरक्षित किया गया।
- अभियोजन ने इसे साक्ष्य मिटाने और अपराध को छिपाने का प्रयास बताया है। इसी आधार पर जमानत का विरोध करते हुए कहा गया कि यदि आरोपित को रिहा किया गया तो वह जांच को प्रभावित कर सकता है।
हवाला कांड में सभी 15 आरोपित जेल में
- कटनी और सतना से महाराष्ट्र के नागपुर व जालना भेजी जा रही करीब 2 करोड़ 96 लाख 50 हजार रुपये की हवाला राशि की इस डकैती में अब तक कुल 15 आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं। सभी इस समय जेल में हैं। इनमें 13 पुलिस कर्मी और दो नागरिक शामिल हैं।
- आरोपितों में निलंबित सिवनी एसडीओपी पूजा पांडे, बालाघाट हॉक फोर्स के तत्कालीन डीएसपी पंकज मिश्रा, बंडोल थाना प्रभारी रहे एसआई अर्पित भैरम, प्रधान आरक्षक राजेश जंघेला, रविंद्र सिंह उइके, माखन सिंह इनवाती, आरक्षक जगदीश यादव, योगेंद्र चौरसिया, एसएएफ आरक्षक सुभाष सदाफल, आरक्षक केदार सिंह, एसडीओपी का चालक आरक्षक रीतेश वर्मा, आरक्षक नीरज राजपूत, जबलपुर क्राइम ब्रांच का आरक्षक प्रमोद सोनी, हवाला कारोबारी पंजू गिरी गोस्वामी और वीरेन्द्र दीक्षित शामिल हैं।
एसआईटी जांच में चौंकाने वाले खुलासे
- एसआईटी की पूछताछ में आरोपित वीरेन्द्र दीक्षित ने बताया कि एसडीओपी पूजा पांडे जब भी रात में गश्त या कार्रवाई पर निकलती थीं, तो वह उसे मोबाइल पर सूचना देती थीं। हवाला घटना के बाद वीरेन्द्र ने अपने मोबाइल का व्हाट्सएप चैट डेटा डिलीट कर दिया और हैंडसेट भी बदल लिया।
- वहीं आरोपित पंजू गोस्वामी ने बताया कि क्रेटा कार में हवाला राशि के परिवहन की जानकारी उसे सांवलराम नामक व्यक्ति से मिली थी। जांच में यह भी सामने आया कि पंजू गोस्वामी की अमित तोलवानी से वर्ष 2025 में 75 बार बातचीत हुई थी। जांच एजेंसियों के अनुसार, प्रमोद सोनी और पंकज मिश्रा के साथ मिलकर हवाला की रकम लूटने की योजना बनाई गई थी।
सीलादेही के पास सुनसान इलाके में वारदात
- यह पूरी घटना 8-9 अक्टूबर की रात की है, जब नागपुर रोड पर सीलादेही चौक के पास एक क्रेटा कार (एमएच 13 ईके 3430) को बलपूर्वक रोका गया। कार में सवार ड्राइवर इरफान और मुख्तार कटनी-सतना से नागपुर-जालना हवाला की रकम ले जा रहे थे। पुलिसकर्मियों ने उन्हें डरा-धमकाकर कार सहित सुनसान इलाके में ले जाकर पूरी रकम अपने कब्जे में ले ली।
- आरोप है कि मौके पर तलाशी नहीं ली गई और लगभग छह घंटे तक रुकने के बावजूद वरिष्ठ अधिकारियों को इतनी बड़ी जब्ती की सूचना नहीं दी गई। अगले दिन जब पीड़ित हवाला कारोबारी सोहन परमार के साथ कोतवाली पहुंचा, तो कथित तौर पर सौदेबाजी की गई। इसमें 50 प्रतिशत राशि रखने और शेष लौटाने का प्रस्ताव दिया गया।
बरामदगी और आगे की जांच
- जांच में बाद में 1 करोड़ 45 लाख रुपये की राशि एसडीओपी पूजा पांडे और एसआई अर्पित भैरम से बरामद की गई। शेष राशि में से 25 लाख रुपये नागपुर के अमन गुरुनानी और 1 करोड़ रुपये अवकाश जैन से जब्त किए गए। फिलहाल हवाला की रकम किसकी थी और इसका अंतिम स्रोत क्या है, इसकी जांच जारी है।
- इस पूरे प्रकरण में लखनवाड़ा थाना में भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज है, वहीं हवाला राशि को लेकर एक अलग मामला धारा 112 बीएनएस के तहत भी दर्ज किया गया है।
न्यायालय का सख्त संदेश
आरक्षक प्रमोद सोनी की जमानत याचिका खारिज कर न्यायालय ने स्पष्ट संकेत दिया है कि संगठित अपराध और उसमें संलिप्त सरकारी कर्मचारियों के मामलों में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। जांच पूरी होने तक सभी आरोपितों की भूमिका की गहन पड़ताल की जाएगी। यह मामला न केवल हवाला कारोबार, बल्कि पुलिस तंत्र की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।