
नईदुनिया प्रतिनिधि, शाजापुर। जिले के किसानों की सोयाबीन फसल पहले तो पीला मोजेक ने बर्बाद कर दी और अब भावांतर योजना ने किसानों की चिंता और बढ़ा दी है। भावांतर के तहत उपज बेचने वाले कई किसान भुगतान के इंतजार में भटक रहे हैं। तीन से चार दिन गुजरने के बाद भी सोयाबीन बेचने के बावजूद किसानों के खाते में रकम नहीं पहुंची है। स्थानीय स्तर पर किसानों में आक्रोश लगातार उबल रहा है। जिला मुख्यालय सहित जिले की अन्य मंडियों का हाल भी कमोबेश यही है।
किसान सुबह से दिनभर बैंक और मंडी कार्यालय के चक्कर काटते दिखाई दिए, पर भुगतान के नाम पर आश्वासन ही मिला। मंडी अधिकारियों की कथनी यही “धैर्य रखिए, रकम जल्द आएगी। धनाना के किसान सौरभ देशमुख ने 16 क्विंटल 61 किलो सोयाबीन 30 अक्टूबर को शुजालपुर में 3040 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बेचा, लेकिन चार दिन बाद भी भुगतान नहीं मिला। किसान मोहनलाल ने भी यही पीड़ा जताई। इसके पहले भी बीते दिवस किसानों का सब्र टूट गया था और शाजापुर मंडी में किसानों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए मंडी को बंद करा दिया था। करीब दो से तीन घंटे तक नीलामी पूरी तरह ठप रही। विरोध तब और उग्र हुआ जब किसानों ने आरोप लगाया कि व्यापारियों ने सोयाबीन की कीमतें गिराने के लिए सिंडिकेट बना लिया है।
किसान बोले एक दिन में ही रेट गिरा दिए, ताकि सोयाबीन सस्ते में खरीद सकें। भाव गिराने का खेल है। किसानों के मुताबिक, जहां एक दिन पहले तक सोयाबीन 4200 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था, वहीं अगले दिन भाव 4000 रुपये प्रति क्विंटल से भी नीचे चला गया।
किसानों का कहना है कि 'भावांतर योजना किसानों को राहत देने के लिए थी, लेकिन जमीन पर हाल यह है कि किसान को उसका पैसा मिल ही नहीं रहा। बीते दिनों संभाग आयुक्त आशीष सिंह ने व्यापारियों और अधिकारियों से चर्चा कर सख्त निर्देश दिए थे कि किसानों को समय पर भुगतान मिले, किसी भी तरह की समस्या आने पर तत्काल समाधान किया जाए। जिले में भावांतर योजना में 69 हजार से अधिक किसान पंजीकृत हैं। फिर भी भुगतान के इंतजार में किसान आज भी परेशान हैं।
किसानों का गुस्सा सिर्फ भुगतान तक सीमित नहीं है। किसानों का कहना है कि यह योजना हम पर थोप दी गई है। कालापीपल, अकोदिया, शुजालपुर,बेरछा आदि में भी यही हाल है। किसान बोले फसल ही नहीं हुई, तो बेचेंगे क्या? योजना की जरूरत हमें नहीं थी, हमें हमारी बर्बाद फसलों का मुआवजा दो और थोड़ी जितनी उपज हुई है, उसका एमएसपी दो। किसान अरविंद पाटीदार कहते हैं जिले में सोयाबीन की उपज 70 किलो से डेढ़ क्विंटल प्रति बीघा तक ही हुई है। गुणवत्ता भी खराब है। किसान तो पहले ही औने-पौने भाव में बेच चुका है। यह योजना बड़े व्यापारियों और कुछ बड़े किसानों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। आम किसान को इससे कोई फायदा नहीं।
नियम के मुताबिक उपज का उसी दिन भुगतान होना चाहिए लेकिन सोयाबीन भुगतान में देरी, गिरते दाम और खराब उपज तीन तरफा मार से किसान त्रस्त हैं। जहां सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के दावे कर रही है, वहीं मंडियों में खड़े किसान पूछ रहे हैं हमारी मेहनत का मूल्य कब मिलेगा। किसान सड़कों पर उतरकर अपनी आवाज और बुलंद करेंगे।-सवाई सिंह सिसोदिया, जिला अध्यक्ष किसान संघ।