नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में सोमवार को निकलने वाली राजसी सवारी के साथ श्रावण-भाद्रपद मास का समापन हो जाएगा। 19 अगस्त मंगलवार से मंदिर की दर्शन व्यवस्था में बदलाव होगा। भगवान महाकाल तड़के 4 बजे जागेंगे, इसके बाद भस्म आरती होगी। परिसर में सामान्य दर्शनार्थियों का प्रवेश शुरू कर दिया जाएगा। बीते तीन माह से परिसर के 40 मंदिरों में सामान्य दर्शनार्थियों का प्रवेश प्रतिबंधित है। कुछ समय से केवल 4 नंबर गेट से आने वाले श्रद्धालुओं को ही परिसर के मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है। शेष भक्त साक्षी गोपाल के दर्शन भी नहीं कर पा रहे हैं।
महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में प्रतिदिन तड़के 4 बजे महाकाल मंदिर के पट खोले जाते हैं, इसके बाद भस्म आरती होती है। लेकिन श्रावण-भाद्रपद मास में बीते डेढ़ माह से प्रत्येक रविवार को रात 2.30 बजे तथा सप्ताह के शेष दिन रात 3 बजे मंदिर के पट खोले जा रहे थे और इसके बाद भगवान महाकाल की भस्म आरती हो रही थी।
सोमवार को राजसी सवारी के साथ श्रावण-भाद्रपद मास का समापन हुआ अब मंगलवार से परंपरा अनुसार तड़के 4 बजे से मंदिर के पट खुलेंगे। मंदिर प्रशासन ने निर्माण कार्य तथा श्रावण मास की दर्शन व्यवस्था के नाम पर मंदिर परिसर में आम भक्तों का प्रवेश प्रतिबंधित कर रखा है। इससे भक्त साक्षी गोपाल, सिद्धि विनायक गणेश सहित परिसर के 40 मंदिरों में दर्शन पूजन नहीं कर पा रहे हैं। मंदिर प्रशासन की इस व्यवस्था से मंदिर के पुजारियों को भी भरण पोषण में कठिनाई आ रही है।
महाकाल मंदिर के विस्तार की योजना बनाते समय तात्कालिक अधिकारियों का कहना था एक बार मंदिर का विकास होने के बाद भीड़ नियंत्रण में परेशानी नहीं आएगी और परिसर में कभी भी प्रवेश प्रतिबंधित नहीं करना पड़ेगा। लेकिन महाकाल टनल का निर्माण होने के बाद मंदिर समिति ने परिसर को बायपास कर दिया है।
अफसर भीड़ नियंत्रण की पुख्ता योजना नहीं बना पा रहे हैं। इसलिए परिसर में प्रवेश बंद कर भीड़ को डायवर्ट कर दिया जाता है। इससे भक्तों को परिसर के 40 धार्मिक व पौराणिक मंदिरों में दर्शन पूजन का लाभ नहीं मिल पाता है। साथ ही मंदिरों के पुजारियों को भी आर्थिक संकट से गुजरना पड़ता है।