राजेश वर्मा, नईदुनिया, उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में पुजारी अब भगवान महाकाल के शृंगार में तीन किलो से अधिक भांग का उपयोग नहीं कर सकेंगे। मंदिर समिति भगवान के शृंगार से पहले भांग का वजन कराएगी। बता दें कि यह व्यवस्था ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के उपायों की सिफारिश के क्रम में किया जा रहा है। शृंगार में अभी पांच से सात किलो भांग का उपयोग होता है। इसे घटाकर तीन किलो किया गया है। इसके लिए मंदिर में तौल कांटा भी लगाया जाएगा।
वर्ष 2017 में ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए सारिका गुरु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने आर्कियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) और जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) के विशेषज्ञों की समिति गठित की थी। विशेषज्ञों ने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का परीक्षण कर क्षरण रोकने के लिए कई सुझाव दिए थे।
इनमें एक सुझाव भगवान महाकाल के शृंगार में भाग की मात्रा सीमित करने का भी है। महाकाल मंदिर में प्रतिदिन होने वाली पांच आरतियों में भगवान महाकाल का विशेष शृंगार किया जाता है। तड़के चार बजे होने वाली भस्म आरती तथा शाम को सात बजे होने वाली संध्या आरती में पुजारी भक्तों की ओर से अर्पित भांग से भगवान महाकाल का शृंगार करते हैं।
महाकाल मंदिर में नित्य प्रति होने वाली पांच आरतियों में पुजारी भगवान महाकाल का कुमकुम, चंदन, भांग व सूखे मेवे तथा मावे से विभिन्न स्वरूप में शृंगार करते हैं। अब कोई भी श्रद्धालु भगवान महाकाल का श्रृंगार करवा सकता है। इसके लिए मंदिर कार्यालय में 1100 रुपये की श्रृंगार की रसीद कटवानी होगी।
भगवान महाकाल के शृंगार में अधिकतम तीन किलो भांग का उपयोग करने का नियम है। इसका कड़ाई से पालन कराने के लिए अब तौल कांटा लगाया जा रहा है ताकि मात्रा अधिक न होने पाए। - प्रथम कौशिक, प्रशासक महाकालेश्वर मंदिर।