
डिजिटल डेस्क। ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक दिलचस्प टिप्पणी की। जब एक याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका सूचीबद्ध न होने की शिकायत की, तो न्यायमूर्ति जे.बी. पार्डीवाला और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा, “भारत एक अजीब देश है। आप खिलाड़ी हैं, खेलना चाहते हैं। यही आपकी आजीविका का साधन है, इसलिए आप कार्यवाही में शामिल होना चाहते हैं।”
कोर्ट ने इस दौरान केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह मुख्य याचिका पर एक व्यापक और विस्तृत जवाब दाखिल करे। पीठ को बताया गया कि केंद्र पहले ही अंतरिम आवेदन पर अपना जवाब दाखिल कर चुका है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को जवाब की प्रति प्रदान की जाए ताकि वे चाहें तो उस पर जल्द से जल्द प्रत्युत्तर दाखिल कर सकें। अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता सी.ए. सुंदरम ने अदालत को बताया कि ऑनलाइन गेमिंग पिछले एक महीने से अधिक समय से पूरी तरह बंद है। वहीं, एक वकील ने कहा कि एक नई रिट याचिका भी दायर की गई है, लेकिन उसे अभी सूचीबद्ध नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता एक शतरंज खिलाड़ी है, जिसकी आजीविका ऑनलाइन टूर्नामेंट में भाग लेकर होती है, और वह जल्द ही एक एप लॉन्च करने की तैयारी में था। इस पर पीठ ने निर्देश दिया कि इस नई याचिका को भी अन्य लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ा जाए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि 26 नवंबर को उस याचिका पर भी सुनवाई की जाएगी जिसमें केंद्र सरकार को ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। इन प्लेटफॉर्म्स पर आरोप है कि वे “सोशल गेम्स” और “ई-स्पोर्ट्स” की आड़ में संचालित होते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 'सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज' (CASC) और शौर्य तिवारी द्वारा दायर याचिका पर भी केंद्र से जवाब मांगा था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि संबंधित कानून कौशल-आधारित खेलों पर भी प्रतिबंध लगाता है, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) के तहत नागरिकों को दिए गए वैध व्यापार और पेशे के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट अब सभी संबंधित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगी ताकि ऑनलाइन गेमिंग और जुआ से जुड़े कानूनी और संवैधानिक मुद्दों पर स्पष्ट दिशा तय की जा सके।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)