एजेंसी,नई दिल्ली। भारत पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित 50 प्रतिशत टैरिफ बुधवार से लागू हो गया है। इससे भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात अब दुनिया में सबसे महंगे आयातों में शामिल होगा। अभी तक यह शुल्क 25 प्रतिशत था, लेकिन अब कई वस्तुओं पर अतिरिक्त टैक्स लगने से कुल दर 50% तक पहुंच गई है।
सबसे ज्यादा असर समुद्री उत्पाद, खासकर झींगा, ऑर्गेनिक केमिकल्स, टेक्सटाइल मेड-अप्स, हीरे-गहने, मशीनरी, फर्नीचर और कार्पेट पर पड़ेगा। उदाहरण के लिए, कार्पेट पर अप्रैल तक सिर्फ 2.9% शुल्क लगता था, लेकिन अब यह बढ़कर 52.9% हो गया है। वहीं, अपैरल पर शुल्क 63% से अधिक तक पहुंच गया है। हालांकि, फार्मा, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक और पेट्रोलियम उत्पाद को छूट दी गई है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला भारत के 30–35 अरब डॉलर के निर्यात को प्रभावित करेगा। 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 86 अरब डॉलर का निर्यात किया था, जिसमें से 43% तक घटने की आशंका जताई जा रही है। इसका असर नोएडा, सूरत और तिरुपुर जैसे हब में रोजगार पर भी दिखाई देने लगा है।
क्रिसिल और फियो ने भी चेतावनी दी है कि गारमेंट और जेम्स-ज्वेलरी सेक्टर पर बड़ा संकट आ सकता है। अमेरिका पहले से ही चाहता है कि भारत अपने कृषि, डेयरी और मत्स्य सेक्टर को पूरी तरह शुल्क मुक्त करे। इसी बीच, अमेरिका ने 25 अगस्त से प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) की बैठक भी रद्द कर दी।
कोई समझौता नहीं होगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा है कि किसान, मछुआरे और छोटे उद्यमियों के हित से कोई समझौता नहीं होगा। सरकार प्रभावित निर्यातकों को राहत देने के लिए एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन और नए पैकेज की तैयारी कर रही है। मंगलवार को पीएमओ में हुई बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने आगे की रणनीति पर चर्चा की।
अमेरिका के अनुसार, 26 अगस्त की रात 12 बजे से पहले भेजे गए और 17 सितंबर से पहले पहुंचने वाले शिपमेंट्स पर पुराना 25% शुल्क ही लागू रहेगा। भारत का मुकाबला अब चीन, वियतनाम, मैक्सिको, बांग्लादेश और इंडोनेशिया जैसे देशों से होगा।
सबसे ज्यादा प्रभावित वस्तुएं और कुल शुल्क