
धर्म डेस्क: पंचांग की गणना के अनुसार 15 दिसंबर को सूर्य वृश्चिक को छोड़कर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही मलमास (Malmas 2025) की शुरुआत हो जाएगी, इसमें विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे। भक्त तीर्थाटन, भगवत पारायण, देव दर्शन आदि धार्मिक कार्य करेंगे। 14 जनवरी को सूर्य के उत्तरायण होने के बाद एक बार फिर मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। हालांकि इस बार शुक्र का तारा अस्त होने से लोगों को विवाह के लिए 4 फरवरी तक इंतजार करना पड़ेगा।
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया सूर्य का धनु राशि में परिभ्रण धनुर्मास कहलाता है। धनुर्मास को मलमास भी कहा जाता है। मलमास में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। मकर संक्रांति पर सूर्य के उत्तरायण होते ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं, क्योंकि उत्तरायण का सूर्य बलाबल की दृष्टि से मांगलिक कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए मकर संक्रांति से एक बार फिर विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत, चौलकर्म आदि मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।
हालांकि इस बार मकर संक्रांति के बाद विवाह आदि मांगलिक कार्यों की शुरुआत के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। क्योंकि 12 दिसंबर को मध्य रात्रि में शुक्र का तारा अस्त हो रहा है, जो फरवरी में उदित होगा। ऐसे में 15 दिसंबर से शुभ मांगलिक कार्यों पर लगी रोक 4 फरवरी को हटेगी।
पं.डब्बावाला ने बताया विवाह के लिए गुरु व शुक्र का तारा उदित होना आवश्यक है। इन दोनों में से किसी एक भी तारे के अस्त होने से मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। विवाह के श्रेष्ठ मुहूर्तों का निर्माण ही इन दोनों तारों के उदित अवस्था में ही होता है। इस बार 12 दिसंबर को शुक्र का तारा अस्त हो रहा है, तो 4 फरवरी को उदित होगा।
सनातन धर्म परंपरा में 18 पुराणों का विशेष उल्लेख है। इनमें अग्नि पुराण सूर्य की उपासना से संबंधित है। अग्नि पुराण के अनुसार व्यक्ति को धनुर्मास में धर्म और अध्यात्म में रत रहना चाहिए। इससे आत्म उत्थान के साथ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है। धनुर्मास में बाहर ज्योतिर्लिंग की यात्रा करते हुए द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन पूजन करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। भक्तों के मनोरथ पूर्ण होते हैं।