नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। रक्षाबंधन पर शनिवार को 297 साल बाद योगों का महा संयोग बन रहा है। सुबह दिन की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग से होगी। शाम को शुभ योग का महासंयोग रहेगा। आठ ग्रहों का पुनरावृत्ति योग इस दिन को खास बना रहा है। इसकी शुभता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सालों बाद राखी पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। बहनें सुबह से रात तक भाई की कलाई पर राखी बांध सकेंगी।
श्रावणी उपाकर्म तथा श्रावण पूजन के लिए भी यह दिन श्रेष्ठ है। खरीदी के लिए भी इस दिन महा मुहूर्त को माना जा रहा है। दिव्य योग, विशिष्ट नक्षत्र तथा ग्रहों की शुभ साक्षी में इस दिन खरीदी गई वस्तु सुख समृद्धि प्रदान करने वाली रहेगी।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि श्रावणी पूर्णिमा पर शनिवार को सर्वार्थ सिद्धि योग, सौभाग्य योग तथा शनि श्रवण योग का महा संयोग रहेगा। आमतौर पर यह योग एक साथ नहीं आते हैं। इनका एक साथ होना ही अपने आप में दुर्लभ संयोग है। विशेष यह भी है कि इन योगों के साथ 297 साल बाद आठ ग्रह ऐसी राशियों में विद्यमान है, जिनमें उनकी मौजूदगी शुभ फल प्रदान करने वाली मानी जाती है।
पंचांग का यह सार आज के रक्षाबंधन पर्व को बेहद खास बना रहा है। इस दिन का लाभ राखी बांधने, श्रवण देवता का पूजन करने, श्रावणी उपाकर्म अर्थात नई यज्ञोपवीत धारण करने तथा हर प्रकार की खरीदी के लिए अवश्य लेना चाहिए। इस दिन सोने, चांदी की राखी, आभूषण, वाहन, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन जैसे मोबाइल, लैपटॉप, वस्त्र, सौंदर्य उत्पाद आदि की खरीदी शुभ फल प्रदान करेगी।
श्रावणी पूर्णिमा पर भगवान श्रवण के पूजन का विधान है। महिलाएं शुभ मुहूर्त में घर के मुख्य प्रवेश द्वार, रसोई तथा मंदिर में श्रवण देवता की आकृति बनाकर पूजा करती है। ज्योतिर्विद पं. हरिहर पंड्या ने बताया श्रावणी पूर्णिमा पर शनिवार को सुबह 7.30 से 9 बजे तक तथा दोपहर में 12 बजे से शाम 4.30 बजे तक शुभ मुहूर्त की साक्षी रहेगी। महिलाएं सुविधा अनुसार समय पर कुल परंपरा अनुसार श्रवण देवता का पूजन कर सकती हैं।
सुबह 7.30 से 9 बजे तक शुभ
दोपहर 12 से 1.30 बजे तक चंचल
दोपहर 1.30 से 3 बजे तक लाभ
दोपहर 3 से शाम 4.30 बजे तक अमृत
शाम 6 से शाम 7.30 बजे तक लाभ
रात 9 से 10.30 बजे तक शुभ
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में श्रावणी पूर्णिमा पर शनिवार तड़के तीन बजे भस्म आरती में सबसे पहले रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा। पुजारी भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक पूजन कर सोने, चांदी के आभूषण तथा नवीन वस्त्र धारण कराकर विशेष शृंगार किया जाएगा। इसके बाद पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान महाकाल को राखी बांधेगी। इसके बाद सवा लाख लड्डू का भोग लगाकर आरती की जाएगी। भक्तों को दिनभर लड्डू प्रसाद का वितरण होगा। चिंतामन व बड़ा गणेश मंदिर में भी सुबह शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश को राखी बांधी जाएगी।
ये भी पढ़ें- Raksha Bandhan 2025: सावन पूर्णिमा पर क्यों पहना जाता है नया जनेऊ? जानें इसका महत्व
श्रावण पूर्णिमा पर पर ब्राह्मण समाज द्वारा श्रावणी उपाकर्म किया जाएगा। सिंहपुरी क्षेत्र के यजुर्वेदी ब्राह्मण सुबह 10 बजे श्रावणी उपाकर्म कर नवीन यज्ञोपवीत धारण करेंगे। विभिन्न संस्कृत विद्यालय, गुरुकुल तथा वेद पाठशालाओं में भी अध्ययनरत वेद पाठी बटुक भी श्रावणी उपाकर्म कर जनेऊ बदलेंगे।
शनिवार को श्रावणी पूर्णिमा पर सूर्य कर्क राशि, चंद्र मकर राशि, मंगल कन्या राशि, बुध कर्क राशि, गुरु व शुक्र मिथुन राशि, राहु कुंभ व केतु सिंह राशि में रहेंगे। ग्रहों के लिए यह राशि अनुकूल हैं। 9 अगस्त 2025 से पहले ग्रहों का इन राशियों में पुनरावृत्ति योग सन 1728 में बना था।