नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। हिंदू पंचांग का यह छठा महीना भादौ या भाद्रपद के नाम से जाना जाता है। यह चातुर्मास का दूसरा महीना है, जिसका विशेष महत्व कृष्ण भक्ति और गणेश पूजा में है। इस माह श्रीकृष्ण व आदिशक्ति लाड़ली जू (राधा) और भगवान श्रीकृष्ण के अग्रज बलदाऊ इस धरा धाम पर अवतरित हुए थे। इसी माह माता पार्वती और उनके पुत्र प्रथम पूज्य श्रीगणेश की आराधना का मास है।
यह मास 10 अगस्त से शुरू हुआ है, सात सितंबर तक रहेगा। इस मास के समापन के दूसरे दिन पितृपक्ष शुरू होंगे। भाद्रपद महीना त्योहारों की रौनक से भरा रहता है। इस पावन मास में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राधा जन्मोत्सव, गणेश चतुर्थी, कजरी तीज, हल षष्ठी, ऋषि पंचमी, अनंत चतुर्दशी, कुश अमावस्या और विश्वकर्मा पूजा जैसे पर्व प्रमुख हैं। इस समय लड्डू गोपाल की स्थापना, शंख की प्रतिष्ठा, श्रीमद्भागवत गीता का पाठ और संतान गोपाल मंत्र का जाप जीवन में सुख, समृद्धि और संतान सुख प्रदान करता है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि भाद्रपद माह भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव जन्माष्टमी के कारण विशेष महत्व रखता है। साथ ही गणेश चतुर्थी का भव्य पर्व भी इसी महीने में आता है, जब भक्तगण अपने घरों और पंडालों में गणेश प्रतिमा स्थापित कर 10 दिनों तक श्रद्धा से पूजा करते हैं।
12 अगस्त- कज्जली तीज, सतुआ, बहुला चतुर्थी, संकट चतुर्थी व्रत चंद्रोदय रात्रि नौ बजकर सात मिनट।
14 अगस्त- चांद छठ।
16 अगस्त- श्रीकृष्ण जन्माष्मी, नंदोत्सव, कालाष्टमी, दूर्वा अष्टमी।
17 अगस्त- गोगानवमी।
19 अगस्त- अजा एकादशी।
20 अगस्त- प्रदोष व्रत, गोवत्सद्वादशी।
22 अगस्त- शिवरात्रि, सिद्ध पितृ अमावस्या।
23 अगस्त- शनिश्चरी अमावस्या, कुशोत्पाटिनी अमावस्या।
25 अगस्त- विश्वकर्मा जयंती, वराह जयंती।
26 अगस्त- हरितालिका तीज।
27 अगस्त- श्रीगणेश चतुर्थी, पार्थिव गणेश स्थापना।
28 अगस्त- ऋषि पंचमी।
29 अगस्त- हल छठ।
30 अगस्त- संतान सप्तमी।
31 अगस्त- दुर्गाष्टमी, राधा अष्टमी, महालक्ष्मी व्रत आरंभ।
01 सितंबर- चंद्र नवमी, भागवत सप्ताह प्रारंभ।
02 सितंबर- तेजा दशमी।
03 सितंबर- डोल ग्यारस।
04 सितंबर- वामन जयंती।
05 सितंबर- प्रदोष व्रत।
06 सितंबर- अनंत चतुर्दशी, पार्थिव गणेश विसर्जन।
07 सितंबर- भागवत सप्ताह पूर्ण, श्राद्धपक्ष प्रारंभ, पूर्णिमा का श्राद्ध, खग्रास चंद्र ग्रहण।