नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। अहिल्या की नगरी में जगदगुरु भगवान कृष्ण के जन्म का उल्लास हर ओर नजर आया। जैसे ही सुईयों ने घड़ी में रात 12 बजे के आंकड़े को छुआ वैसे ही कृष्ण मंदिर में घंटे-घड़ियाल और शंख ध्वनि गूंजने लगी। हाथी,घोड़ा, पालकी जय कन्हैयालाल की और नंद के आनंद भयो...जय कन्हैयालाल की जयघोष हजारों श्रद्धालु लगाने लगे। इस अवसर पर प्रसाद के रूप में माखन-मिश्री का प्रसाद के रूप में वितरण किया गया।यह दृश्य जहां शनिवार को जहां यह दृष्य यशोदा माता, इस्कान के राधा-गोविंद सहित वैष्णव मंदिरों में दिखाई दिया वहीं एक दिन पहले शुक्रवार को स्मार्त मंत के गोपाल एवं बांके बिहारी में था। बाल-गोपाल के हजारों लोगों ने पालने में झूला-झूलाया।
मोर मुकुट, स्वर्ण आभूषण से सजे बाल गोपाल को निहारने मंदिर भक्तों की कतार लगी। मटकी फोड़े आयोजन में गोविंदाओं की टोली पहुंची और दही हांडी तोड़ी। निपानिया स्थित अंतर्राष्ट्रीय श्री कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कान) मंदिर पर जन्माष्टमी उल्लास देखते ही बन रहा था।यहां आराध्य के दर्शन के लिए शाम ढलते ही भक्तों की लंबी-लंबी कतारे लगी हुई। मंदिर प्रबंधन द्वारा वर्षा से बचाने के लिए वाटर प्रूफ पंडाल लगाया गया। परिसर एवं बाहर रहने वाले दर्शकों के लिए 3 मेगा स्क्रीन पर उत्सव प्रसारण किया जा रहा था। भक्त मंडल के हरि अग्रवाल एवं शैलेंद्र मित्तल ने बताया कि आवाजाही के लिए बसें चलाई गई। वृंदावन से आए फूलों से राधा गोविंद के मंदिर को सजाया गया।
235 वर्ष पुराने खजूरी बाजार स्थित यशोदा मंदिर में विभिन्न आयोजन हुए। इस अवसर पर सुबह महाभिषेक के बाद 10 मूर्तियों को नवीन वस्त्र धारण कराए गए। भगवान को मुकुट एवं विभिन्न आभूषण पहनाए गए। मंदिर संचालक पं. मनीष दीक्षित ने बताया कि 17 को गोद भराई के साथ नंदोत्सव होगा। 18 को भजन संध्या का आयोजन किया गया।
मनोरमा गंज स्थित गीता भवन पर सुबह से देर रात तक विभिन्न आयोजन होंगे। वृंदावन से आए स्वामी विश्वात्मानंद महाराज के प्रवचन के बाद कृष्ण मंदिर में पुष्प से आकर्षक श्रृंगार हुआ। दोपहर में गीता भवन भक्त मंडल की ओर से महिलाएं भगवान कृष्ण पर आधारित ब्रज के गीतों पर प्रस्तुतियां दी। शाम को भजन संध्या के बाद मध्यरात्रि को जन्म आरती हुई।
एरोड्रम रोड स्थित श्री श्रीविद्याधाम पर महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सान्निध्य में कदम्ब के फूल से आकर्षक झांकी सजाई गई। पं. लोकेश शर्मा एवं उनके साथी भगवान के जन्म एवं यमुना में नौका विहार की झांकी सजाई गई।भगवान कृष्ण का तुलसी दल, सफेद तिल्ली एवं पुष्पों से सहस्त्रार्चन की गई।17 अगस्त को नंदोत्सव मनाया जाएगा। उत्सव में आने वाले भक्तों की सुविधा के लिए समुचित प्रबंध किए गए हैं।
लगातार दो दिन 15-16 अगस्त को कृष्ण की जन्म आरती के बाद तीसरे दिन रामानुज संप्रदाय के मंदिरों में जन्माष्टमी 17 अगस्त को मनाई जाएगी। इस अवसर पर लक्ष्मी-वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग में शाम 6 बजे भगवान का शृंगार, रात 8 बजे वेणुगोपाल संस्कृत पाठशाला के विद्यार्थियों द्वारा स्तोत्र पाठ के बाद रात 12 बजे जन्म आरती होगी। इसी तरह पदमावती वेंकटेश देवस्थान पदमावती कालोनी में भी रात 12 बजे भगवान की आरती की जाएगी।