नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से श्रावण-भाद्रपद मास में सोमवार को भगवान महाकाल की राजसी सवारी निकली। मंदिर की परंपरा अनुसार शाम 4 बजे जैसे ही सवारी की शुरुआत हुई अवंतिकापुरी जय महाकाल के उद्घोष से गुंजायमान हो गई। यही नहीं उज्जैन के साथ ही विश्व के 25 से अधिक देशों में महाकाल की सवारी का प्रसारण देखा गया। मंदिर प्रशासन के अनुसार-अलग इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, यू-ट्यूब आदि के माध्यम से 10 लाख से अधिक भक्तों ने सवारी के दर्शन किए।
मंदिर प्रबंध समिति से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस बार श्रावण-भादौ मास की शुरुआत की पांच सवारियों के डिजिटल प्रसारण को 25 लाख से अधिक भक्तों ने देखा है। अमेरिका, ब्रिटेन, यूएई, थाइलैंड, श्रीलंका, नेपाल, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि देशों में बसे भारतीयों ने सवारी के दर्शन किए। राजसी सवारी के दौरान अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ पर शिव तांडव, नंदी पर उमा महेश, डोल रथ पर होलकर व सप्तधान मुखारविंद में सवार होकर निकलते हैं।
राजसी सवारी को देखने के लिए देशभर से करीब दो लाख भक्त उज्जैन पहुंचे थे। राजाधिराज के स्वागत में सात किलो मीटर लंबे सवारी मार्ग को दुल्हन की तरह सजाया गया था। राजसी सवारी पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंदिर के सभा मंडप में भगवान महाकाल के चंद्रमौलेश्वर रूप का पूजन कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना तथा स्वयं भी शिव भक्ति में लीन होकर झांझ, डमरू बजाते हुए सवारी में नंगे पैर पैदल चले।
इस दौरान प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा अनुसार भगवान महाकाल की राजसी सवारी में मंदिर के मुख्य द्वार पर भगवान महाकाल को दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर के समय, शिप्रा तट पर पालकी पूजन के समय तथा गोपाल मंदिर पर हरिहर मिलन के समय हेलीकाप्टर तथ ड्रोन से पुष्प वर्षा की गई।