नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से श्रावण-भद्रपद मास में सोमवार को भगवान महाकाल की राजसी सवारी निकलेगी। भक्तों को भगवान महाकाल के एक साथ छह रूपों के दर्शन होंगे। महाकालेश्वर मंदिर से परंपरा अनुसार शाम 4 बजे सवारी शुरू होगी।
निर्धारित मार्गों से होकर पालकी शिप्रा तट पहुंचेगी। यहां पुजारी भगवान महाकाल का जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करेंगे। पूजन पश्चात सवारी पुन: मंदिर के लिए रवाना होगी तथा रात 10 बजे पालकी मंदिर पहुंचेगी। इसके बाद रात 10.30 बजे भगवान महाकाल की शयन आरती की जाएगी।
अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ पर शिवतांडव, नंदी पर उमा महेश, डोल रथ पर होलकर तथा सप्तधान मुखारविंद में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे। राजसी सवारी में 70 से अधिक दल शामिल रहेंगे।
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सात किलो मीटर लंबे सवारी मार्ग पर ड्रोन से पुष्प वर्षा की जाएगी। करीब 100 स्वागत मंचों से पालकी का स्वागत होगा। सवारी मार्ग पर चप्पे-चप्पे पर नजर रखने के लिए अत्याधुनिक कैमरे लगाए गए हैं। 1900 से अधिक सुरक्षा कर्मी तैनात रहेंगे। दोपहर 12 बजे से सवारी मार्ग पर सभी प्रकार के वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा।