
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन: पौष मास के कृष्ण पक्ष की शिव चतुर्दशी पर गुरुवार को शिप्रा के सिद्धवट घाट पर स्नान तथा सिद्धवट (Ujjain Siddhavat) का दुग्धाभिषेक होगा। मान्यता है कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन सिद्धवट पर दुग्ध अर्पण से पितृ तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं तथा अपने वंशजों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इसी मान्यता के चलते देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन आकर सिद्धवट का दुग्धाभिषेक करेंगे।
पं.सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया सिद्धवट शक्तिभेद तीर्थ के नाम से जाना जाता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शिप्रा के सिद्धवट घाट पर पितृ पूजा करने तथा सिद्धवट पर दूध चढ़ाने से परिवार में वर्षभर खुशहाली बनी रहती है।
गुरुवार सुबह 5 बजे पुजारी परिवार की ओर से सिद्धवट को दूध अर्पित किया जाएगा। इसके बाद देशभर से आने वाले श्रद्धालु दूध अर्पण करेंगे। सिद्धवट के दुग्धाभिषेक का सिलसिला अल सुबह से शाम तक चलेगा। श्रद्धालु पितृ कर्म तथा दान पुण्य भी करेंगे।
बता दें पौष मास की अमावस्या दो दिन होने से 20 दिसंबर शनिवार को शनिश्चरी अमावस्या का संयोग भी बन रहा है। बड़ी संख्या में भक्त शिप्रा के त्रिवेणी संगम पर स्नान तथा घाट क्षेत्र के समीप स्थित प्राचीन नवग्रह शनि मंदिर में शनिदेव के दर्शन,पूजन व तेलाभिषेक करेंगे। शहर के अन्य शनि मंदिरों में भी दर्शनार्थियों का तांता लगेगा।
पौष मास के कृष्ण पक्ष की शिव चतुर्दशी भगवान शिव की विशेष आराधना का पावन अवसर मानी जाती है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखकर शिवलिंग का जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भस्म से अभिषेक करते हैं। मान्यता है कि शिव चतुर्दशी का व्रत करने से रोग, शोक और भय का नाश होता है तथा जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
शास्त्रों के अनुसार इस तिथि पर भगवान शिव की रात्रि जागरण के साथ पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। भक्त “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप कर शिव कृपा की कामना करते हैं। शिव चतुर्दशी को आत्मशुद्धि और शिव भक्ति का श्रेष्ठ पर्व माना गया है।