
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Tulsi Vivah 2025 Date & Time: देवउठनी एकादशी के अगले दिन यानी 2 नवंबर 2025 (रविवार) को पूरे देश में तुलसी विवाह का आयोजन श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु चार महीने के शयन के बाद जागते हैं और उनका विवाह माता तुलसी (वृंदा) से संपन्न होता है। इस शुभ अवसर से शादी-ब्याह और अन्य मांगलिक कार्यों के शुभ मुहूर्त की शुरुआत होती है।
इस अवधि में तुलसी विवाह (Tulsi Vivah Kab Hai), पूजा और व्रत करना अत्यंत शुभ माना गया है।
बाबा सिंहेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी रुद्रनाथ ठाकुर बताते हैं कि तुलसी विवाह में पहले मंगनी, फिर फेरे और आरती के साथ विवाह संपन्न कराया जाता है।
इस दिन उपवास रखकर तुलसी विवाह में शामिल होने से मनोकामना पूर्ण होती है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
वहीं मां चंडिका मंदिर के पुजारी पंडित मनोज राय कहते हैं - देवउठनी एकादशी के अगले दिन देव उठान द्वादशी को भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप से तुलसी माता का विवाह कराया जाता है।
1. तुलसी के पौधे को साफ-स्वच्छ स्थान पर रखें और गंगाजल छिड़कें।
2. तुलसी माता को साड़ी, बिंदी, चूड़ी, सिंदूर और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।
3. भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप को तुलसी के पास रखें।
4. धूप, दीप, पुष्प और फल अर्पित करें।
5. तुलसी विवाह के मंत्रों का जाप करें और तुलसी-शालीग्राम का फेरे के साथ विवाह संपन्न करें।
6. आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
तुलसी के पौधे में घी का दीपक जलाएं।
शंख से तुलसी पर जल अर्पित करें।
तुलसी विवाह में पीली वस्तु (हल्दी, पीला वस्त्र) अर्पित करना शुभ माना गया है।
इस दिन गरीबों को तिल, गुड़ और वस्त्र दान करने से धन-समृद्धि बढ़ती है।
तुलसी विवाह के बाद घर में शंखनाद करना शुभ माना जाता है।