
डिजिटल डेस्क। योगी आदित्यनाथ सरकार ने गन्ना किसानों को तोहफा देने के बाद अब धान उत्पादक किसानों को भी राहत दी है। सरकार ने नॉन-हाइब्रिड (मोटे) धान की रिकवरी में 1 प्रतिशत की छूट देने का निर्णय लिया है। इस फैसले से प्रदेश के करीब 15 लाख किसानों को बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
राज्य की लगभग 2000 राइस मिलों को इस छूट का सीधा फायदा मिलेगा। अनुमान है कि अब मिलों में अधिक मात्रा में धान की कुटाई होगी। वहीं, हाइब्रिड धान की रिकवरी पर पहले से मिल रही 3 प्रतिशत की छूट को बरकरार रखा गया है।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने लोकभवन में पत्रकार वार्ता के दौरान इस निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के नियमों के अनुसार मिलर्स को धान की कुटाई के बदले 67 प्रतिशत रिकवरी पर कस्टम मिल्ड राइस (CMR) देना होता है। हालांकि, मिलर्स ने कम रिकवरी को लेकर चिंता जताई थी, जिसके बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।
वित्त मंत्री ने बताया कि पहले वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाइब्रिड धान पर 3 प्रतिशत की छूट दी थी, जिससे हर साल लगभग 100 करोड़ रुपये का भार सरकार वहन करती रही है। अब मोटे धान पर 1 प्रतिशत की नई छूट से सरकार पर करीब 166 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जिसे सरकार वहन करेगी।
छूट से धान की कीमतों में सुधार होने की संभावना है, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। साथ ही, मिलर्स अधिक मात्रा में धान की कुटाई के लिए प्रेरित होंगे। वर्तमान में मिलों के जरिए दो लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है, और इस नई नीति से रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
राज्य में इस समय धान की सरकारी खरीद जारी है। प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद रणवीर प्रसाद के अनुसार, किसानों के पंजीकरण और सत्यापन की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन की गई है। धान की खरीद-फरोख्त में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जीपीएस लगे वाहनों से निगरानी और स्टॉक सत्यापन किया जा रहा है।
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हाल ही में सरकार ने गन्ने के मूल्य में ₹30 प्रति क्विंटल की रिकॉर्ड बढ़ोतरी की थी, जिससे गन्ना उत्पादकों को बड़ा लाभ मिला। अब धान उत्पादक किसानों के लिए यह नई घोषणा राज्य सरकार के कृषि सुधार एजेंडे में एक और अहम कदम मानी जा रही है।